डेस्क:पश्चिम बंगाल की जादवपुर यूनिवर्सिटी में रामनवमी से पहले तनाव की स्थिति पैदा हो गई है। यहां पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और अन्य कई छात्र संगठनों के अलावा हिंदू संगठनों ने राम नवमी के आयोजन का ऐलान किया है। वहीं यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अनुमति देने से इनकार कर दिया है। इसे लेकर विवाद की स्थिति पैदा हो गई है। हिंदू संगठनों का कहना है कि इसी यूनिवर्सिटी कैंपस में ईद मनाई गई थी। फिर अब राम नवमी को लेकर क्यों रोक लगाई जा रही है। छात्रों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन से पहले ही राम नवमी के लिए अनुमति मांगी थी। लेकिन यूनिवर्सिटी ने यह कहते हुए मना कर दिया कि फिलहाल वाइस चांसलर नहीं हैं। इसलिए ऐसी परमिशन नहीं दी जा सकती। इसी के जवाब में हिंदूवादी संगठनों की दलील है कि ईद क्यों मनाने दी गई।
पिछले सप्ताह ही पश्चिम बंगाल के गवर्नर सीवी आनंद बोस ने जादवपुर यूनिवर्सिटी के अंतरिम कुलपति भास्कर गुप्ता को पद से हटा दिया था। गवर्नर का कहना था कि यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि गुप्ता ने कैंपस की हिंसा को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए। इसके अलावा सरकार के आदेशों की भी अवहेलना की गई थी। हिंदूवादी छात्र संगठनों ने राम नवमी के लिए परमिशन मांगी थी, लेकिन इनकार के बाद गुस्सा बढ़ गया है। कोलकाता की इस यूनिवर्सिटी को वामपंथियों का गढ़ माना जाता है। ऐसे में हिंदूवादी संगठनों के ऐलान से तनाव की स्थिति है। फिलहाल प्रशासन अलर्ट पर है ताकि रामनवमी के दौरान किसी तरह की हिंसा न होने पाए।
कई छात्रों ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम तो राम नवमी का आयोजन कैंपस में ही रखेंगे। इन लोगों ने कहा कि पिछले साल हमें शुरुआत में परमिशन मिली थी, लेकिन बाद में प्रदर्शनों को देखते हुए रोक दिया गया। अब एक बार फिर से परमिशन की मांग हमने की तो मना कर दिया गया है। लेकिन हम अब भी अपनी बात अडिग हैं और रामनवमी का सेलिब्रेशन होकर रहेगा। कुछ छात्रों का कहना है कि हम ममता बनर्जी के इस फैसले के खिलाफ अदालत का रुख करेंगे। हम देखते हैं कि आखिर कौन रोकेगा। एक हिंदूवादी नेता शांतनु सिंघा ने कहा कि हमने इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन की भी तैयारी कर ली है। वहीं लेफ्ट विंग के संगठन SFI का कहना है कि एबीवीपी की ओर से राम नवमी का आयोजन करने का ऐलान हुआ है और हम ऐसा नहीं होने देंगे। दोनों तरफ से ऐसे अड़ियल रुख ने भी चिंताएं बढ़ा दी हैं।