रांची:साल 2011 में झारखंड में आयोजित 34 वें राष्ट्रीय खेल के दौरान हुए घोटाले को लेकर झारखंड हाईकोर्ट के जजमेंट में कई गंभीर सवाल उठाए गए हैं। 61 पन्नों के जजमेंट में जिक्र है कि राज्य के व्यूरोक्रेट्स, नेताओं और पुलिस अफसरों की संलिप्तता के कारण कोर्ट को भी कई बार गुमराह किया गया। गलत हलफनामा तक दायर किया गया। जजमेंट में टिप्पणी है कि राजनीति, पुलिस व प्रशासनिक विभाग के बड़े ओहदेदारों की भूमिका होने के कारण एसीबी ने जांच को 12 साल तक लटकाए रखा। इसकी रफ्तार धीमी रखी गई। सीबीआई को निर्देश दिया गया है कि केस को प्रभावित करने वाले अफसरों की भी भूमिका की जांच की जाए।
राष्ट्रीय खेलके आयोजन के लिए खेलगांव कांप्लेक्स के निर्माण में अनियमितता की पुष्टि विधानसभा कमेटी की जांच में हुई थी। कमेटी ने पाया था कि प्रोजेक्ट पर निर्माण पर पहले 206 करोड़ की राशि खर्च होनी थी, लेकिन इसे बढ़ाकर पहले 340 करोड़ और फिर 424 करोड़ किया गया। कमेटी ने जांच में काम के आवंटन से लेकर निर्माण तक में कई गड़बड़ियां पकड़ी। इस मामले में एसीबी को आठ माह में जांच का निर्देश दिया गया था। लेकिन एसीबी ने कभी जांच ही नहीं की। वहीं इस मामले में कला, संस्कृति, खेल विभाग के डिप्टी सेक्रेटरी ने हलफनामा दायर किया कि इस मामले में विधानसभा कमेटी के अनुशंसा के आधार पर एसीबी जांच की जा रही है। साथ ही एसीबी को जल्द जांच पूरा करने का निर्देश दिया गया है।
इसी मामले में एसीबी के डीएसपी स्तर के अधिकारी ने हलफनामा देकर बताया था कि कांप्लेक्स निर्माण की जांच को लेकर कोई निर्देश नहीं मिला है। एसीबी सिर्फ केस संख्या 49/10 की जांच कर रही है, जो खेल सामग्रियों की खरीद में 28 करोड़ की अनियमितता से जुड़ा है। हाईकोर्ट के जजमेंट में जिक्र है कि एसीबी के 9 जनवरी 2019, 25 मार्च 2022 और 2 अप्रैल 2022 के हलफनामें के मुताबिक भी एसीबी की जांच का दायर सिर्फ खेल सामग्रियों की खरीद तक सिमटा रहा, एसीबी ने कभी खेलगांव कांप्लेक्स निर्माण में अनियमितता की जांच नहीं की।