भोपाल:मध्य प्रदेश में गुरुवार को आयोजित जल जीवन मिशन के सोशल ऑडिट एप के लॉन्चिंग पर सीएम शिवराज सिंह चौहान को अपना बचपन याद किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि वह बचपन में बैलगाड़ी से कई बार पानी की कोठी भरने जाते थे। उन्होंने बताया कि जिंदगी का आधा हिस्सा पानी भरने और पानी की व्यवस्था करने में ही चला जाता। यही नहीं, कई बार तो पानी के चक्कर में नहाते के लिए भी सोचते थे।
ऐसे में मेरे मन में विचार आया कि पानी को व्यवस्थित किया जाए, और फिर 2012 में जल निगम बनाया। कार्यक्रम में सीएम शिवराज ने आगे कहा कि कार्यशाला में तनाव मुक्त होकर आराम से बैठें। यह अपने परिवार की बैठक है। मैं कोई टेक्निकल आदमी नहीं हूं। मैं मुख्यमंत्री के दम पर अहंकार से भरा हुआ व्यक्ति नहीं हूं। वहीं, यह मान्यता है कि मुख्यमंत्री हो या हमारे विभाग का काम करने वाला छोटा कर्मचारी, या फिर नीचे का अमला हो। सब मिलकर परिणाम प्राप्त करते हैं। पानी के महत्व को हम सभी अच्छी तरह से जानते हैं। पानी हमारी जिंदगी है। हमें ऑप्शन के बाद अगर सबसे ज्यादा जरूरत होती है तो पीने के पानी की।’
सीएम ने आगे कहा कि मैं जब मुख्यमंत्री बना तो मैंने तीन चीजों पर काम किया। इसमें पहला सड़कों के गड्ढे ठीक करवाए। फिर खेती और पीने का पानी, तीसरा बिजली की व्यवस्था सुधारवाई। मैंने तय किया कि समूह पेयजल योजना बनाओ। एक बड़ी दूरी से पानी लाओ, ओवरहेड टैंक बनाओ, टंकियां बनाओ और कई गांव में एक साथ पानी सप्लाई करने की व्यवस्था करो।