नई दिल्ली:दिल्ली में हो रही पानी की जबरदस्त कमी को लेकर शुक्रवार को दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने अरविंद केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा। जल संकट के लिए उन्होंने दिल्ली सरकार के गैरजिम्मेदाराना रवैये और खराब प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि पानी की कमी की सबसे बड़ी वजह पुरानी पाइपलाइन्स हैं, जिन पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया गया। वहीं पड़ोसी राज्यों हरियाणा और उत्तर प्रदेश का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार अपनी नाकामियों का ठीकरा दूसरे राज्यों पर फोड़ रही है।
‘मुख्यमंत्री का दावा छलावा साबित हुआ’
उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ दिनों से हम दिल्ली में जल संकट के प्रति दिल्ली सरकार का गैरजिम्मेदाराना रवैया देख सकते हैं। आज दिल्ली में लोग पानी के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर टैंकरों के पीछे भागते नजर आ रहे हैं। लेकिन सरकार अपनी नाकामियों का ठीकरा दूसरे राज्यों पर फोड़ रही है। दिल्ली में 24 घंटे पानी की आपूर्ति का मुख्यमंत्री का वादा अब तक तो छलावा साबित हुआ है।’
’54 प्रतिशत पानी का कोई हिसाब नहीं’
LG ने कहा, ‘मेरी जानकारी के अनुसार हरियाणा और उत्तर प्रदेश लगातार दिल्ली को अपने तय कोटे का पानी दे रहे हैं। इसके बावजूद आज दिल्ली में पानी की भारी किल्लत का सबसे बड़ा कारण यह है कि उत्पादित पानी का 54 प्रतिशत का कोई हिसाब-किताब ही नहीं है। 40 प्रतिशत पानी तो आपूर्ति के दौरान पुरानी और जर्जर पाइपलाइनों के कारण ही बर्बाद हो जाता है।’
‘अमीरों को प्रति व्यक्ति 550 लीटर, गरीबों को 15 लीटर प्रति व्यक्ति’
उपराज्यपाल बोले, ‘पिछले 10 सालों में दिल्ली सरकार द्वारा हजारों करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, इसके बावजूद ना तो पुरानी पाइपलाइनों की मरम्मत या बदलाव किया गया और न ही पर्याप्त पाइप बिछाए गए। हद तो यह है कि इसी पानी को चोरी करके टैंकर माफिया द्वारा गरीब जनता को बेचा जाता है।’ आगे उन्होंने कहा, ‘यह कितने दुर्भाग्य की बात है कि जहां एक तरफ जहां दिल्ली के अमीर इलाकों में औसतन 550 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन पानी की आपूर्ति की जा रही है, वहीं गांवों और कच्ची बस्तियों में रोजाना औसतन केवल 15 लीटर प्रति व्यक्ति पानी की आपूर्ति की जा रही है…।’
वजीराबाद बराज की क्षमता 250 से घटकर 16 मिलियन गैलन रह गई
आगे उपराज्यपाल ने कहा, ‘मुझे बताया गया है कि वजीराबाद को छोड़कर दिल्ली के सारे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स अपनी क्षमता से ज्यादा पानी का उत्पादन कर रहे हैं। वजीराबाद ट्रीटमेंट प्लांट इस वजह से पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रहा है, क्योंकि बराज का जलाशय, जहां हरियाणा से आया हुआ पानी जमा होता है, लगभग पूरी तरह गाद से भरा हुआ है। इसके कारण, इस जलाशय की क्षमता, जो 250 मिलियन गैलन हुआ करती थी, वो घटकर मात्र 16 मिलियन गैलन रह गई है। 2013 तक हर साल इसकी सफाई होती थी और गाद निकाला जाता था। लेकिन पिछले 10 सालों में एक बार भी इसकी सफाई नहीं करवाई गई और हर साल पानी की कमी के लिए दूसरों पर दोष मढ़ा जाता रहा। इस मामले में मैंने स्वयं मुख्यमंत्री जी को पिछले साल पत्र भी लिखा था।’