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Home राज्य-शहर बिहार

कैग ने खोली बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं की पोल, स्टाफ, बुनियादी सुविधाओं और दवाओं की भारी कमी

ON THE DOT TEAM by ON THE DOT TEAM
March 31, 2022
in बिहार
Reading Time: 1 min read
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बच्चे की बीमारी देख डॉक्टर हैरान, नौकरानी ने 10 सेकेंड में किया निदान

पटना:बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली एक बार फिर सामने आई है। महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली की तस्वीर जारी हुई है। मार्च 2020 को समाप्त हुए साल की रिपोर्ट को बिहार के प्रधान महालेखाकार (पीएजी) रामावतार शर्मा ने जारी की है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के भारी निवेश के बावजूद लोगों को बुनियादी चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने में राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं कामयाब नहीं हो पा रही हैं।

विधानसभा में रिपोर्ट रखने के बाद मीडियाकर्मियों से बात करते हुए शर्मा ने कहा कि कोविड महामारी के मद्देनजर की गई ऑडिट रिपोर्ट से पता चलता है कि सरकारी अस्पतालों, मुख्य रूप से जिला अस्पतालों में संसाधनों, मैन पावर और जनसंख्या के भार को देखते हुए उनके लिए योजनाओं की भारी कमी है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जिला अस्पतालों को बेड की कमी का सामना करना पड़ा है। देश के स्वास्थ्य स्टैंडर्ड की तुलना में  अलग अलग अस्पतालों में 52 से 92% तक की कमी है। जिला अस्पतालों में जनसंख्या की तुलना में बिस्तरों की संख्या काफी कम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक दशक से अधिक समय बीत जाने के बावजूद बिस्तरों की संख्या को स्वीकृत स्तर तक नहीं बढ़ाया गया है।

जिला अस्पतालों में डॉक्टरों और विशेषज्ञों की कमी के कारण ओपीडी में आने वाले मरीजों को 12 से 15 जरूरी सेवाएं जैसे कार्डियोलॉजी, गैस्ट्रो, एंटरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, ईएनटी जैसी सुविधाएं भी नहीं दी जा सकी हैं। मरीजों को मुफ्त दवाएं उपलब्ध कराने का उद्देश्य भी पूरा नहीं हो सका है। ओपीडी के 59 फीसदी मरीजों को अपनी जेब पैसे खर्च कर दवाएं खरीदनी पड़ीं।

शर्मा ने कहा कि सैंपलिंग के लिए चेक किए गए पांच जिला अस्पतालों पटना, जहानाबाद, बिहारशरीफ, हाजीपुर और मधेपुरा में से किसी में भी आपातकालीन सेवाओं के लिए ऑपरेशन थियेटर (ओटी) नहीं था।
उन्होंने कहा कि ओटी में आवश्यक दवाओं की कमी मानक से 64-91% के बीच दिखी। इससे साफ है कि मरीजों को आवश्यक दवाओं की भी खरीद करनी पड़ी है। उन्होंने कहा कि गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) केवल जहानाबाद जिला अस्पताल में उपलब्ध थी। किसी अस्पताल में कार्डियक केयर यूनिट (सीसीयू) नहीं थी।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि पटना सहित नौ जिला अस्पतालों के पास कोई ब्लड बैंक नहीं था, दो को छोड़कर मौजूदा ब्लड बैंकों के पास 2014-20 की अवधि के दौरान वैध लाइसेंस था। रिपोर्ट में अस्पतालों में आवश्यक दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति करने वाली बिहार मेडिकल सर्विसेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीएमएसआईसीएल) के कामकाज पर आलोचनात्मक टिप्पणी की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017-18 के दौरान अस्पतालों को 70 आवश्यक दवा सूची (ईडीएल) दवाओं और 2018-19 के दौरान 66 ईडीएल दवाओं की आपूर्ति नहीं की गई।

पीएजी ने कहा कि बीएमएसआईसीएल विभिन्न परियोजनाओं पर 10,743 करोड़ रुपये के उपलब्ध फंड के मुकाबले केवल 3,103 (29%) खर्च कर सका। 2014-20 के दौरान बीएमएसआईसीएल द्वारा शुरू की गई कुल 1097 परियोजनाओं में से 187 को ही पूरा किया जा सका है, जबकि 523 अब भी प्रगति पर थी और 387 पर काम शुरू होना बाकी था।

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