नई दिल्ली:कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से पांच समन प्राप्त कर चुके दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अब 6 साल पुराने केस में भी झटका लगा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के प्रमुख केजरीवाल के खिलाफ जारी समन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का केस यूट्यूबर ध्रुव राठी का वीडियो रीट्वीट करने से जुड़ा है।
कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक जीवन के किसी शख्सियत की ओर से जब ट्वीट या रीट्वीट किया जाता है तो उसका प्रभाव फुसफुसाहट से अधिक होता है। जस्टिस स्वर्णकांत शर्मा ने कहा, ‘जब लाखों लोग किसी पब्लिक फिगर को फॉलो करते हैं, कुछ भी जो पेश किया जाता है वह जनता या उन्हें फॉलो करने वालों के संज्ञान के लिए होता है। लाखों लोगों की ओर से फॉलो किए जाने वाली शख्सियत का प्रभाव भी पीड़ित पर अधिक होगा।’
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस स्वर्णकांत शर्मा ने कहा कि अपमानजनक सामग्री रीट्वीट करना आईपीसी की धारा 499 के तहत मानहानि का अपराध है। कोर्ट ने मजिस्ट्रेट की ओर से जारी समन और केजरीवाल की याचिका को सेशंस कोर्ट की ओर से खारिज किए जाने के फैसले को बरकरार रखा। केजरीवाल ने 2019 में याचिका दायर की थी। एक संयुक्त पीठ ने दिसंबस 2019 में ट्रायल पर रोक लगा दी थी।
केजरीवाल के खिलाफ मानहानि की शिकायत विकास संकृत्यायन ने की थी जो सोशल मीडिया पेज ‘आई सपॉर्ट नरेंद्र मोदी’ के फाउंडर थे। उन्होंने दावा किया कि यूट्यूब वीडियो ‘बीजेपी आईटी सेल पार्ट II’ को राठी ने वायरल किया था जिसमें झूठे और अपमानजनक आरोप लगाए गए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने बिना तथ्य की जांच किए वीडियो को अपने अकाउंट से साझा किया। शिकायतकर्ता ने कहा कि वीडियो अपमानजनक था और केजरीवाल के ट्वीट से उनकी छवि को भारत और विदेशों में ठेंस पहुंची। मजिस्ट्रेट ने केजरीवाल को समन किया था और कहा था कि प्रथम दृष्टया यह मानहानिकारक है।