नई दिल्ली:कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव सुर्खियों में बना हुआ है। दो दिन बाद होने वाले मतदान के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर आमने-सामने हैं। पार्टी के दोनों ही दिग्गज नेता विभिन्न राज्यों में जाकर खुद को जिताने की अपील कर रहे हैं। कर्नाटक, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों का दौरा कर चुके मल्लिकार्जुन खड़गे को लेकर एक दिलचस्प बात यह है कि वे राजस्थान नहीं गए हैं। राज्य में कांग्रेस की सरकार होने के बाद भी खड़गे का राजस्थान नहीं जाने के पीछे वजह मानी जा रही है कि वे अभी भी सितंबर के आखिरी में हुए विधायक की बैठक वाले मुद्दे को नहीं भूल पाए हैं, जिसके चलते सवाल उठ रहे हैं कि क्या वे नाराज हैं? हालांकि, इस कथित नाराजगी को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुल कर खड़गे का समर्थन कर चुके हैं, लेकिन आने वाले दो दिनों में भी खड़गे के राजस्थान जाकर वोट मांगने की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही। दोनों नेता (खड़गे और थरूर) फोन के जरिए जरूर अपने पक्ष में मतदान करने की अपील कर चुके हैं।
दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव घोषित हुए तब राहुल गांधी ने चुनाव लड़ने से साफ इनकार कर दिया। लंबे समय तक पार्टी के दिग्गज नेता उन्हें चुनाव के लिए मनाते रहे, लेकिन एक बार नहीं लड़ने का मन बना चुके राहुल अंत तक अपनी बात पर अडिग रहे। इसके बाद गांधी परिवार के करीबी नेताओं में एक रहे अशोक गहलोत का चुनाव लड़ना तय हो गया। हिंदी पट्टी पर अच्छी पकड़ होने की वजह से गहलोत की जीत भी तय मानी जा रही थी, लेकिन पिछले महीने उनके करीबी विधायक शांति धारीवाल के घर हुई बैठक ने पूरा गेम बिगाड़ दिया। इसी पूरे एपिसोड से मल्लिकार्जुन खड़गे नाराज बताए जाते हैं। सूत्रों के अनुसार, गांधी परिवार गहलोत को पार्टी का अध्यक्ष बनाए जाने के पक्ष में था। साथ ही, राजस्थान की कमान सचिन पायलट को सौंपना चाहता था। इसके लिए खड़गे और अजय माकन को दिल्ली से एक लाइन का प्रस्ताव पारित करवाने के लिए राजस्थान भेजा गया।
दिल्ली से आए दोनों पर्यवेक्षकों ने जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई। लेकिन इस बैठक को दरकिनार कर गहलोत के करीबी विधायक शांति धारीवाल के घर पर एक बैठक बुला ली गई। इसमें पार्टी के ज्यादातर विधायक पहुंच गए और अपना इस्तीफा देने की बात करने लगे। माना गया कि यह बैठक गहलोत के इशारे पर ही बुलाई गई थी। हालांकि, गहलोत ने इससे इनकार किया और सोनिया गांधी से माफी तक मांगी। विधायक दल की बैठक के लिए खड़गे और माकन को काफी देर तक इंतजार करना पड़ा, लेकिन एमएलए मीटिंग में नहीं पहुंचे। गहलोत के करीबी विधायकों के इस खेल से माकन और खड़गे काफी आहत हो गए। दोनों ही नेता अगले दिन ही दिल्ली वापस लौट आए और पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पूरी जानकारी दी। सूत्रों के अनुसार, गहलोत किसी भी कीमत पर राजस्थान की सत्ता सचिन पायलट को सौंपना नहीं चाहते हैं, जिसकी वजह से पूरा प्रकरण हुआ।
पिछले दिनों अशोक गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए खड़गे के नाम का खुला सपोर्ट कर दिया। इसके लिए उन्होंने चुनाव का प्रोटोकॉल तक तोड़ दिया, जिसके बाद कई नेता उनपर कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं। गहलोत ने कहा, ”मैं उम्मीद करता हूं जो भी डेलीगेट हैं वो भारी बहुमत से मल्लिकार्जुन खड़गे को कामयाब करेंगे। कामयाब होने के बाद में वो हम सबका मार्गदर्शन करेंगे व कांग्रेस मजबूत होकर प्रतिपक्ष के रूप में उभर कर सामने आएगी। यह मेरी सोच है, मेरी शुभकामनाएं है खड़गे साहब भारी मतों से कामयाब हों।” राजनीतिक एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसके जरिए गहलोत खड़गे की कथित नाराजगी को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं और यहां तक कि वह इसके लिए कांग्रेस की चुनाव गाइडलाइन के खिलाफ भी चले गए। दरअसल, गाइडलाइन के अनुसार, कोई भी नेता अपने पद पर रहते हुए कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार का प्रचार या समर्थन नहीं कर सकेगा। अगर कोई ऐसा करना चाहता है तो फिर उसे पहले अपने पद से इस्तीफा देना होगा।