शाहीबाग, अहमदाबाद (गुजरात) : जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी का शाहीबाग-अहमदाबाद प्रवास अब सम्पन्नता की ओर है, किन्तु श्रद्धालुओं की भावना, उनकी उपस्थिति और उनकी तत्परता मानों नवीन-सी ही महसूस हो रही है। सूर्योदय से पूर्व गुरु की सन्निधि हो, प्रातःकालीन बृहत् मंगलपाठ, सेवा-दर्शन से लेकर प्रवचन तक और फिर प्रायः देर रात तक गुरु की भक्ति में लीन अहमदाबादवासी इस आध्यात्मिक अवसर का सम्पूर्ण लाभ उठा रहे हैं। तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमणजी भी श्रद्धालुओं निरंतर आध्यात्मिक लाभ प्रदान कर रहे हैं।
शाहीबाग प्रवास के 9वें दिन शुक्रवार को शाहीबाग स्थित तेरापंथ भवन से लगभग एक किलोमीटर दूर प्लेटिनम हाईट्स के निकट बने जैनं जयतु शासनम् समवसरण में उपस्थित श्रद्धालुओं को अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि आदमी के भीतर मोह कर्म का उदय भाव भी है तो क्षायोपशमिक भाव भी है। मन के भीतर उदय भाव और क्षायोपशमिक भाव के बीच संघर्ष चलता है। कभी उदय भाव आता है तो मोह अत्यधिक हो जाता है और कभी क्षायोपशमिक भाव जागृत होता है तो मोहनीय कर्म प्रतनु पड़ जाता है। मोहनीय कर्म के भाव से आदमी हिंसा, ईर्ष्या, झूठ, निष्ठुरता में जा सकता है।
आदमी को अपने भीतर दया और अनुकंपा की भावना का विकास करने का प्रयास करना चाहिए। किसी दूसरे को अपने से कोई कष्ट न हो, ऐसा प्रयास होना चाहिए। किसी का सहयोग न भी कर सकें तो किसी के कार्य में, किसी की शांति में विघ्न डालने का भी प्रयास नहीं होना चाहिए। मन में करुणा, दया, अनुकंपा की भावना का विकास करने का प्रयास होना चाहिए। करुणा, अनुकंपा और दया की भावना होती है तो आदमी पापों से से भी काफी बच सकता है। दया सभी प्राणियों का कल्याण करने वाली होती है। आदमी किसी दूसरे को कष्ट न भी दे और यदि कोई कष्ट में है तो जितना संभव हो सके उसकी आध्यात्मिक सेवा द्वारा उसकी चेतना को शांति प्रदान करने का प्रयास करना चाहिए। प्रवचन करना भी दया-करुणा का ही एक भाग है, इसके माध्यम से कितनों-कितनों का कल्याण संभव हो सकता है। इस प्रकार दया और अनुकंपा रूपी धर्म का पालन करते हुए मोक्ष की दिशा में भी गति संभव हो सकती है।
आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व साध्वीवर्याजी व साध्वीप्रमुखाजी का भी उद्बोधन हुआ। आचार्यश्री के आगमन के नवमे दिन भी श्रद्धालुओं की अभिव्यक्ति का क्रम जारी रहा। तेरापंथ महिला मण्डल-अहमदाबाद की अध्यक्ष श्रीमती चांद छाजेड़ ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ कन्या मण्डल ने भावपूर्ण प्रस्तुति के साथ ही तत्त्वज्ञान संबंधित गीत का संगान किया और आचार्यश्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। प्रवास व्यस्था समिति की ओर से श्री विजयराज सुराणा व ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं ने पृथक्-पृथक् गीत का संगान किया। आचार्यश्री ने ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं को पावन प्रेरणा प्रदान की। आचार्यश्री ने समुपस्थित लोगों को वर्षीतप के संदर्भ में प्रत्याख्यान भी कराया। राजस्थानी भाषा अर संस्कृति मण्डल-अहमदाबाद की ओर से नवसंवत्सर 2080 का कैलेण्डर संस्था के पदाधिकारियों द्वारा पूज्यप्रवर के समक्ष लोकार्पित किया गया।