सावन मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को कल्कि जयंती का त्योहार मनाया जाता है। यह भगवान विष्णु का दसवां व आखिरी अवतार है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, कलियुग का अंत होने के बाद भगवान विष्णु ने धर्म की पुनर्स्थापना करने के लिए कल्कि अवतार लिया था। इस साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 3 अगस्त, बुधवार को है।
कल्कि जयंती का महत्व-
कल्कि जयंती के दिन मंदिरों में भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है। मान्यता है कि आज के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान विष्णु को प्रिय चीजों का भोग लगाया जाता है।
कल्कि जयंती शुभ मुहूर्त 2022-
सावन मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 03 अगस्त को सुबह 05 बजकर 41 मिनट से शुरू हो गई है, जो कि गुरुवार, 04 अगस्त को सुबह 05 बजकर 40 मिनट तक रहेगी। कल्कि जयंती के दिन पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 04 बजकर 45 मिनट से शाम 07 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।
भगवान विष्णु की पूजा विधि-
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
भगवान की आरती करें।
भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।