डेस्क। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित 11 जुलाई के अपने प्रस्ताव में मंगलवार को बदलाव किया। खबर है कि सरकार की तरफ से मिली ‘संवेदनशील जानकारी’ में खास बात देखते हुए कॉलेजियम ने फैसले पर दोबारा विचार किया है।
CJI यानी भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाले कॉलेजियम में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई भी शामिल हैं। उन्होंने पूर्व में की गई कई अपनी सिफारिशों में बदलाव किए हैं। कॉलेजियम ने सात उच्च न्यायालयों दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, केरल, मध्यप्रदेश, मद्रास और मेघालय के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए नामों की सिफारिश की थी।
इस बीच, कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत, न्यायमूर्ति जी एस संधावालिया और न्यायमूर्ति ताशी राबस्तान की नियुक्ति के संबंध में अपनी सिफारिशों में बदलाव करने का निर्णय लिया।
दिल्ली उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति कैत की पहले जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की सिफारिश की गई थी। अब उन्हें मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की गई है।
कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति संधावालिया को पहले मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की थी। अब उन्हें हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की गई है।
न्यायमूर्ति ताशी राबस्तान को मेघालय उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की गई थी। कॉलेजियम ने अब उन्हें जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की है।
कॉलेजियम ने कहा कि वर्तमान प्रस्ताव 11 जुलाई को न्यायमूर्ति मनमोहन, न्यायमूर्ति राजीव शकधर, न्यायमूर्ति नितिन मधुकर जामदार और न्यायमूर्ति के आर श्रीराम के संबंध में की गई सिफारिशों को प्रभावित नहीं करेगा।
बीते सप्ताह ही अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच को बताया था की 7 उच्च न्यायालयों में मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति में देरी को सही ठहराने के लिए उनके पास कुछ सामग्री है। उनका कहना था कि सामग्री संवेदनशील है और सीलबंद लिफाफे में रखने की बात कही थी।