कोलकाता:पुलिस कमीश्नर विनीत गोयल और डीसीपी के खिलाफ केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बड़ा ऐक्शन लिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, इन दोनों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इन पर अफवाह फैलाकर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के कार्यालय को बदनाम करने का आरोप है। गृह मंत्रालय ने यह कार्रवाई पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस की शिकायकत पर की है। उन्होंने विनीत गोयल और कोलकाता पुलिस उपायुक्त इंदिरा मुखर्जी के खिलाफ रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें आरोप लगाया गया कि वे इस तरह काम कर रहे हैं, जो लोक सेवक के लिए पूरी तरह से अनुचित है।
राज्यपाल बोस ने जून के अंतिम सप्ताह में गृह मंत्री को सौंपी अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें इस मुद्दे को उठाया गया कि कोलकाता पुलिस के अधिकारी चुनाव के बाद हुई हिंसा के पीड़ितों को उनसे मिलने की अनुमति नहीं दे रहे हैं, जबकि उन्होंने इसके लिए उन्हें जरूरी इजाजत दे दी थी। सीनियर अधिकारी ने कहा, ‘गृह मंत्रालय ने बंगाल के राज्यपाल बोस की ओर से प्रस्तुत विस्तृत रिपोर्ट के आधार पर IPS अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की है।’ उन्होंने बताया कि शिकायती पत्र की कॉपी 4 जुलाई को राज्य सरकार को भेज दी गई थी।
मनगढ़ंत आरोपों को बढ़ावा देने का आरोप
अधिकारी ने बताया कि बंगाल के राज्यपाल ने राजभवन में तैनात अन्य पुलिस अधिकारियों पर भी आरोप लगाए। ऐसा कहा गया कि अप्रैल-मई 2024 के दौरान एक महिला कर्मचारी की ओर से लगाए गए मनगढ़ंत आरोपों को बढ़ावा दिया गया। उन्होंने कहा, ‘इन आईपीएस अधिकारियों ने अपने कृत्यों से न केवल राज्यपाल के कार्यालय को कलंकित किया है, बल्कि इस तरह से काम किया है जो एक लोक सेवक के लिए पूरी तरह से अनुचित है।’ दूसरी ओर, राज्यपाल आनंद बोस ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया कि विधानसभा अध्यक्ष की ओर से तृणमूल कांग्रेस के 2 नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाना संविधान का उल्लंघन है। राज्यपाल ने राष्ट्रपति को पत्र तब लिखा जब विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने टीएमसी के दो विधायकों को शपथ दिलाई, जबकि बोस ने इस काम के लिए विधानसभा के उपाध्यक्ष को अधिकृत किया था।