इंदौर। आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) ने भोजशाला- कमाल मौला मस्जिद मामले में अपनी रिपोर्ट मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में दायर कर दी है। सर्वे के बाद एएसआई ने दो हजार पन्नों की रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंपी है। एएसआई ने कहा है कि अब तक की जांच और अध्ययन से पता चलता है कि मौजूदा ढांचे को पूर्व के मंदिर के हिस्सों से बनाया गया है। बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट में ऐसा बताया गया है।
हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित विवादित स्थल के सर्वे का आदेश दिया था, जिसमें भोजशाला मंदिर और कमल मौला मस्जिद है। सुप्रीम कोर्ट ने मई में सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हाई कोर्ट की इंदौर बेंच के सामने रिट पिटीशन दायर करके हिंदू पक्ष ने पूरे भोजशाला कॉम्पलेक्स पर अपना हक जताया है और यहां मुसलमानों के नमाज पढ़ने पर रोक की मांग की गई है।
बार एंड बेंच के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सजे हुए खंभों और पिलास्टर की कला और वास्तुकला से यह कहा जा सकता है कि वे पूर्व के मंदिर का हिस्सा थे और इनका इस्तेमाल मस्जिद के स्तंभ बनाने के लिए किया गया।’ यह भी कहा गया है कि एक स्तंभ पर देवताओं की खंडित छवियां हैं। एक अन्य स्तंभ के आधार पर देवता की छवि दर्शाई गई है। दो भित्तिस्तंभों पर पर खड़ी छवियां काट दी गई हैं और उनकी पहचान नहीं हो सकी।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मस्जिद में मानव या पशु की छवि नहीं हो सकती है, इसलिए कई स्थानों पर ऐसी तस्वीरों को विकृत किया गया है। स्तंभों और भित्तिस्तंभों पर ऐसे प्रयास दिखाई देते हैं। एएसआई ने निष्कर्ष में कहा है, ‘वैज्ञानिक जांच, सर्वे, खुदाई, इसमें मिली चीजों के अध्ययन, विश्लेषण, पुरातत्विक वस्तुओं के अध्ययन, मूर्तियां और शिलालेख, कला और शास्त्र के आधार पर यह कहा जा सकता है कि मौजूदा ढांचा मंदिर के हिस्सों से बनाया गया है। मामले की अगली सुनवाई अब हाई कोर्ट में 22 जुलाई को होगी।