नई दिल्ली:दुनिया भर में कोरोना महामारी की रफ्तार थमने के बाद अब मंकीपॉक्स वायरस का खतरा लगातार बढ़ रहा है। बीते सात मई को ब्रिटेन में मंकीपॉक्स वायरस का पहला मामला मिला था। मगर अब लगभग एक महीने बाद 30 से अधिक देशों में कुल 600 के करीब मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
यानी दुनिया भर में हर दिन औसतन 20 नए मरीज मिलें। बीते एक सप्ताह के भीतर आधा दर्जन से अधिक देशों में मंकीपॉक्स का पहले मामले दर्ज किए गए। मंकीपॉक्स के प्रकोप को देखते हुए देश में भी अलर्ट जारी किया गया है।
10 फीसदी मृत्यु दर
अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सीडीसी के अनुसार, अफ्रीका में मंकीपॉक्स के रोगियों पर किए गए विश्लेषण के मुताबिक 10 में से एक व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है। यानी मंकीपॉक्स से होने वाली मृत्यु दर 10 फीसदी तक है।
भारत में अलर्ट
केंद्र सरकार ने इसे लेकर अलर्ट जारी किया है ताकि समय रहते इसे नियंत्रित किया जा सके। सरकार ने इस पर नजर रखने के लिए नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च को निर्देश जारी किया है। उन यात्रियों पर पर नजर रखने का निर्देश दिया गया है जो मंकीपॉक्स प्रभावित देशों से वापस लौट रहे हैं। संदिग्ध मंकीपॉक्स के लक्षणों वाले यात्रियों के सैंपल तुरंत पुणे की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में जांच के लिए भेजने को भी कहा गया है।
डब्ल्यूएचओ ने जताई चिंता
पहले तो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) कहा था कि मंकीपॉक्स को समय रहते नियंत्रित किया जा सकता और दुनिया के पास इस प्रकोप को रोकने का एक अवसर है। मगर अब डब्ल्यूएचओ ने इसके रोकथाम को लेकर चिंता जताई है। डब्ल्यूएचओ ने कहा, इसे नियंत्रित किया जा सकेगा या नहीं यह स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता।
तीव्र प्रसार की आशंका
डब्ल्यूएचओ के यूरोप कार्यालय के प्रमुख डॉ. हैंस क्लूज ने कहा,आने वाले महीनों में त्योहारों और उत्सवों के कारण मंकीपॉक्स फैलने को लेकर सावधान रहने की जरूरत है। यदि जरा सा भी ढिलाई बरती गई तो यह पूरी दुनिया में बहुत तेजी से फैल सकता है। उन्होंने इसके प्रसार के पीछे यौन गतिविधियों को भी जिम्मेदार ठहराया।