बंगलुरू: तेरापंथ भवन गांधीनगर में मासखमण तप अभिनंदन समारोह का आयोजन मुनिश्री अर्हत्कुमारजी ठाणा 3 के सानिध्य में हुआ । मुनिश्री ने कहा मुक्ति के चार मार्ग मे चौथा मार्ग है तप।तप वह मनोहर वाटिका है,जिसमे रमण करने वाले व्यक्ति अपने जीवन को रमणिय बना देता है। तप वही कर सकता है,जिसकी दृढ़ इच्छा शक्ति और मनोबल मजबूत होता है | वहीं व्यक्ति तप के मार्ग पर बढ सकता है।तप से आधि व्याधी और उपाधि सभी का नाश होता है।तप से आत्मदीप प्रज्जवलित होता है।मुनि भरत कुमार जी ने कहा तप जीवन को सुनहरा बना कर आत्मा को पावन बनाता है। बालसंत जयदीप कुमार जी ने गीत का संगान किया। तपस्वी श्रीमती शर्मिला देवी भंसाली ने मासखमण तप के प्रत्याख्यान किए |श्रीमती जयश्री राईसोनी ने 11 के और गुंजन सुराणा ने 8 के प्रथयाखान किए । भंसाली परिवार की महिलाओं द्वारा गीत की प्रस्तुति दी गई | महासभा कर्नाटक दक्षिण आंचलिक प्रभारी प्रकाशचंद लोढ़ा ने तप अभिनंदन पत्र का वाचन किया | साध्वी प्रमुखा विश्रृत विभाजी से प्राप्त संदेश का वाचन टी पी एफ चीफ ट्रस्टी एम सी बलदोटा ने किया | भावना भंसाली ने विचार व्यक्त किए | शांतिनगर समाज के सदस्यों ने गीतिका की प्रस्तुति दी | संगठन मंत्री धर्मेश कोठारी ने संचालन किया |