मुंबई:महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले महायुति गठबंधन का गणित गड़बड़ाता नजर आ रहा है। गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार की कैबिनेट मीटिंग में कुछ ऐसा हुआ, जिससे इस बात की आशंका प्रबल हो गई है। प्रदेश सरकार में वित्त मंत्रालय संभालने वाले अजीत पवार करीब मिनट के बाद ही मीटिंग छोड़कर चले गए। इस बात को लेकर सवाल उठने लगे हैं। एक अधिकारी के मुताबिक यह पहली बार हुआ है जब अजीत पवार इस तरह से बैठक छोड़कर गए हैं। अधिकारी के मुताबिक इसके पीछे की सही वजह पता नहीं है। पूरी बैठक में उनकी कुर्सी खाली रही। गौरतलब है कि पिछले कुछ हफ्तों में शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी के बीच दरारें बढ़ी हैं।
अजीत पवार के बैठक छोड़कर जाने के बाद बैठक करीब ढाई घंटे तक चली। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस पूरी बैठक में मौजूद रहे। इस दौरान कुल 38 फैसले लिए गए, जिनमें से अधिकतर वित्त से जुड़े थे। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि अजीत पवार कैबिनेट बैठक के लिए बिना पूर्व सूचना लाए गए प्रस्तावों को लेकर नाखुश थे। पिछले कुछ हफ्तों में वित्त विभाग ने कैबिनेट में लाए गए कई प्रस्तावों पर आपत्ति जताई है।
हालांकि एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष और लोकसभा सांस सुनील ततकरे ने कहाकि महायुति में दरार का कोई सवाल ही नहीं है। ततकरे ने कहाकि मुझे नहीं पता कि कैबिनेट में क्या हुआ, लेकिन दरार का तो कोई सवाल ही नहीं है। किसी के जल्दी बैठक छोड़कर जाने से कोई अंदाजा नहीं लगाया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में चुनाव पूर्व योजनाओं से प्रदेश के बजट पर 96 हजार करोड़ का बोझ बढ़ गया है। इसमें 46 हजार करोड़ रुपए का सालाना बजट तो केवल लड़की बहिन योजना से बढ़ा है। चुनाव से पहले प्रदेश सरकार पर जमीनों के अलॉटमेंट, सब्सिडी और गारंटियों को पूरा करने का दबाव है।
वित्त विभाग ने पहले ही वॉर्निंग दे रखी है कि 2024-25 के लिए वित्तीय घाटा दो लाख करोड़ से ज्यादा का हो सकता है। वित्त विभाग के मुताबिक यह 3 फीसदी की तय सीमा को पार कर चुका है।