मुंबई:महाराष्ट्र में सरकार गठन और शपथ समारोह पर सस्पेंस के बीच महायुति में अजित पवार की अगुवाई वाले सहयोगी दल एनसीपी ने भी पेच फंसा दिया है। एनसीपी ने एकनाथ शिंदे की शिवसेना के बराबर सरकार में जगह की मांग की है। एनसीपी नेता छगन भुजबल ने हालिया विधानसभा चुनावों में बेहतर स्ट्राइक रेट का हवाला देते हुए कहा है कि उनकी पार्टी नई सरकार में एकनाथ शिंदे के पार्टी के बराबर हिस्सेदारी से कम पर नहीं मानेगी। सरकार गठन की कोशिशों के बीच एनसीपी की तरफ से यह नई मांग सामने आई है।
छगन भुजबल ने साफ तौर पर कहा है कि महाराष्ट्र विधानसभा में चुनावों में अजित पवार की अगुवाई में एनसीपी ने बेहतर प्रदर्शन किया है। ऐसे में नई सरकार में एनसीपी को भी शिवसेना के बराबर प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। उन्होंने मंगलवार को कहा, “अगर हम अपने गठबंधन में स्ट्राइक रेट देखें तो बीजेपी पहले नंबर पर है और दादा (अजित पवार) की एनसीपी दूसरे नंबर पर है और शिंदे की सेना तीसरे नंबर पर है। इसलिए हमारी मांग है कि सरकार में हमें भी शिंदे के बराबर जगह मिले।”
हालिया विधानसभा चुनावों में स्ट्राइक रेट का हवाला देकर छगन भुजबल ने पहले अजित पवार के लिए सीएम की कुर्सी मांगी थी। बता दें कि 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 132 सीटों पर जीत मिली है। उसने 148 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस लिहाज से भाजपा की स्ट्राइक रेट 88.5 फीसदी रहा, जबकि 59 सीटों पर चुनाव लड़कर 41 सीटें जीतने वाली एनसीपी की स्ट्राइक रेट 69.5 फीसदी रही। एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 81 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 56 पर जीत दर्ज की थी। उसकी स्ट्राइक रेट 70.4 फीसदी रही।
महाराष्ट्र में 20 नवंबर को हुए विधानसभा चुनावों में महायुति की भारी जीत हुई थी। नई सरकार 5 दिसंबर को शपथ लेगी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है लेकिन महायुति गठबंधन ने अभी तक किसी नाम की घोषणा नहीं की है। राज्य भाजपा विधायक दल की बैठक 4 दिसंबर को होगी, जिसमें माना जा रहा है कि फडणवीस के नाम पर मुहर लगेगी।
यह भी तय है कि नई सरकार में अजित पवार उप मुख्यमंत्री होंगे लेकिन एकनाथ शिंदे को लेकर अभी तय नहीं हो सका है कि उनकी भूमिका क्या होगी। इस पर संशय जारी है। विभागों और मंत्रियों की संख्या को लेकर भी अंदरूनी खींचतान की खबरे हैं। शिवसेना नेताओं ने सोमवार को कहा था कि गठबंधन राजनीति की ‘‘परंपरा’’ के अनुसार, यदि मुख्यमंत्री पद भाजपा को मिलता है तो उनकी पार्टी को गृह विभाग मिलना चाहिए।