शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल की हत्या का साजिश हुई। खबर है कि उनपर 68 साल के नारायण सिंह चौरा ने गोली चलाई। हालांकि, इस हमले में बादल बच गए। यह हमला उस समय हुआ जब बादल स्वर्ण मंदिर के बाहर ‘सेवादार’ के रूप में सेवाएं दे रहे थे। खास बात है कि चौरा बड़ा आतंकवादी है और कई मामलों में उसका नाम सामने आ चुका है।
आतंकियों को जेल से भगाने में की थी मदद
चौरा गुरदासपुर जिले के चौरा गांव का रहने वाला है और उसका नाम बड़े आतंकवादियों में शामिल होता है। कहा जा रहा है कि वह फिलहाल जमानत पर बाहर है। वह बब्बर खालसा इंटरनेशनल के आतंकवादी जगतार सिंह हवारा, परमजीत सिंह भेओरा और उनके साथी जगतार सिंह तारा और देवी सिंह को जेल से भगाने का भी मास्टरमाइंड है।
घटना जनवरी 2004 की है। उसने मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषियों को जेल से भागने में मदद की थी। ये सभी जेल में सुरंग खोदकर फरार हो गए थे।
खास बात है कि इस मामले में उसे जमानत मिल गई थी, लेकिन उसने कोर्ट में पेश होना बंद कर दिया और अक्तूबर 2011 में उसे घोषित अपराधी करार दे दिया गया था। बाद में 2013 में उसे गिरफ्तार किया गया था।
लंबी है गुनाहों की सूची
8 मई 2010 में चौरा के खिलाफ अमृतसर के सिविल लाइन पुलिस स्टेशन में एक्सप्लोसिव्स एक्ट की धारा 4 और 5 और UAPA की धारा 3,4 और 5 के तहत मामला दर्ज हुआ ता। इसके बाद एक स्थानीय अदालत ने साल 2018 में उसे बरी कर दिया था। वह आतंक से जुड़े दर्जनों मामलों में पंजाब पुलिस के लिए वॉन्टेड था।
पाकिस्तान से जुड़े तार
पुलिस का कहना है कि चौरा 1084 में पाकिस्तान पहुचं गया था, जहां वह पंजाब में हथियारों और विस्फोटकों की बड़ी खेप की तस्करी में शामिल रहा। पाकिस्तान में रहने के दौरान उसने कथित तौर पर गुरिल्ला युद्ध पर किताब भी लिखी है। कांग्रेस शासन के दौरान चौरा का भाई मार्केट कमेटी चेयरमैन भी रह चुके हैं।
खबर है कि चौरा कथित तौर पर अकाल फेडरेशन और खालिस्तान लिबरेशन फोर्स का हिस्सा रहा था। वहीं, माना जाता है कि वह खालिस्तान समर्थक दल खालसा में खासा सक्रिय है। फरारी के दौरान पुलिस ने उसपर 10 लाख रुपये के इनाम का भी ऐलान किया था।