डेस्क:शेयर बाजार में शानदार तेजी को देखते हुए म्यूचुअल फंड कंपनियां धड़ाधड़ नई फंड योजनाएं (NFO) पेश कर रही हैं। इन नई म्यूचुअल फंड योजनाओं पर निवेशक भी खूब दांव लगा रहे हैं। अगस्त और सितंबर महीने में 25 से अधिक एनएफओ में निवेशकों को पैसा लगाने का मौका मिला है। विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी नए एनएफओ में निवेश करने से पहले उसकी रणनीति, जोखिम और प्रबंधन का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करना बेहद जरूरी है। निवेशकों को इसके बारे में पूरी तरह पड़ताल करने के बाद ही निवेश करना चाहिए।
कम कीमत से कितना लाभ
विशेषज्ञ कहते हैं कि एनएफओ में पैसा लगाते समय निवेशक को सतर्क रहना चाहिए। उसे यह नहीं समझना चाहिए कि कम कीमत वाले एनएफओ में निवेश करने पर उसे अधिक फायदा होगा। मुनाफा केवल योजना के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। अगर नई योजना उम्मीद के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पाती है तो इस स्थिति में नुकसान भी हो सकता है। इसके विपरीत अगर किसी अच्छे प्रदर्शन वाली योजना में निवेश करने पर कम यूनिट मिलती है तो भी वह निवेशकों को मुनाफा देगी।
क्या होते हैं एनएफओ
न्यू फंड ऑफर यानी एनएफओ का मतलब बाजार में पेश होने वाली नई म्यूचुअल फंड योजनाओं से होता है। इसके जरिए म्यूचुअल फंड चलाने वाली एसेट मैनेजमेंट कंपनियां (AMC) निवेशकों को अपनी किसी नई योजना में पैसा निवेश करने के लिए आमंत्रित करती हैं। एनएफओ, शेयर बाजार के आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) के समान हैं, जहां निवेशकों को किसी निवेश योजना में शुरू से ही शामिल होने का अनूठा मौका मिलता है। निवेशक आम तौर पर 10 रुपये प्रति यूनिट के ऑफर मूल्य पर म्यूचुअल फंड की यूनिट खरीद सकते हैं।
चूंकि, नई म्यूचुअल फंड योजनाओं का पिछला रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होता, इसलिए ये अनुमान लगाना मुश्किल होता है कि भविष्य में उसका प्रदर्शन कैसा होगा। ऐसे में निवेशक को कंपनी की साख पर विश्वास करना पड़ता है। इस लिहाज कंपनी के प्रदर्शन को अवश्य जांचना चाहिए। अगर उसने अन्य योजनाओं में अच्छा मुनाफा दिया है, तभी उसकी नई योजना में निवेश करें।