नई दिल्ली:निवेशकों के पैसों के दुरुपयोग पर रोक लगाने को लेकर बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने फिर सख्ती दिखाई है। सेबी अगले तीन महीने तक म्यूचुअल फंड की कोई भी नई स्कीम लॉन्च करने पर तीन महीने के लिए रोक लगा दी है। निवेशकों के पैसों की पूलिंग बंद करने के उद्देश्य से सेबी ने यह फैसला लिया है।
क्या है पूलिंग
दरअसल, अभी ब्रोकर या मध्यस्थ निवेशकों के पैसों को पहले अपने खाते में रखते हैं। इसके बाद पैसा क्लीयरिंग कॉरपोरेशन या एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के पास भेजा जाता है। इस प्रक्रिया को पूलिंग कहा जाता है। इसको लेकर सेबी पिछले साल से ही सख्ती दिखा रहा है। पिछले साल अक्टूबर में सेबी ने इंडस्ट्री से कहा था कि यह प्रैक्टिस बंद होनी चाहिए और निवेशकों के खाते से पैसा सीधे म्यूचुअल फंड में जाना चाहिए। इसके अनुपालन में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री ने समय मांगा था। इसकी डेडलाइन पहले ही दो बार बढ़ चुकी है। अब एक बार फिर सेबी ने इसे बढ़ाकर 30 जून तक कर दिया है।
म्यूचुअल फंड कंपनियों के संगठन एएमएफआई की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि म्यूचुअल फंड उद्योग ने इस अवधि के दौरान नए फंड की पेशकश (एनएफओ) को भी फिलहाल रोकने पर सहमति व्यक्त की है। एएमएफआई के अनुसार, फंड खातों की पूलिंग व्यवस्था बंद करने की समयसीमा बढ़ाने का उद्देश्य निवेशकों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए एक कुशल प्रौद्योगिकी और सुचारू परिवर्तन की सुविधा प्रदान करना है।
म्यूचुअल फंड उद्योग के साथ चर्चा और सहमति बनने के बाद सेबी ने म्यूचुअल फंड उद्योग के लिए खातों की पूलिंग को बंद करने की समयसीमा एक जुलाई, 2022 तक की बढ़ा दी है। एएमएफआई ने बताया कि उद्योग के निवेशकों के हित में उच्च स्तर की परिचालन दक्षता लाने और म्यूचुअल फंड अभिदान तथा मोचन के कुशल कामकाज के उद्देश्य से यह समयसीमा बढ़ाई गई है।
सेबी के आदेशों का पालन करने में दिक्कत नहीं होगी
एएमएफआई के चेयरमैन और आदित्य बिरला सन लाइफ एएमसी के सीईओ ए बालासुब्रमनियन का कहना है कि सेबी पैसों की पूलिंग के मौजूदा सिस्टम को पूरी तरह से बदलना चाहती है। बालासुब्रमनियन के मुताबिक, अभी निवेश का अधिकतम हिस्सा मौजूदा स्कीमों से आ रहा है। ऐसे में सेबी के निर्देशों का पालन करने में अधिक दिक्कत नहीं होगी।
ब्रोकर्स की भूमिका सीमित होगी
सेबी के निर्देशों के मुताबिक, स्टॉक ब्रोकर्स या क्लीयरिंग सदस्य पे इन-पे आउट को हैंडल नहीं कर सकेंगे। सेबी के निर्देशों के अनुपालन के लिए बैंक, स्टॉक एक्सचेंज, पेमेंट गेटवेज और क्लीयरिंग कॉरपोरेशंस को एसेट मैनेजमेंट कंपनीज (एएमसी) के साथ मिलकर युद्धस्तर पर काम करने की जरूरत है क्योंकि इसमें तकनीकी प्लेटफॉर्म, पेमेंट गेटवेज और ट्रांजैक्शन प्लेटफॉर्म में बदलाव होगा।
37 लाख करोड़ के पार पहुंचा एयूएम
म्यूचुअल फंड योजनाओं में लगातार निवेश बढ़ रहा है। यही कारण है कि म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का कुल असेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) 37.56 लाख करोड़ पर पहुंच गया है। एएमएफआई के डाटा के अनुसार, फरवरी में एयूएम में 31,533 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी रही है।
फीस-खर्च के मामले औसत स्तर पर पहुंची म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री
सेबी की ओर से लगातार सख्ती के कारण म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में पारदर्शिता बढ़ रही है। इससे निवेश की लागत में कमी आ रही है। यही कारण है कि भारत की म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री मॉर्निंगस्टर इंक के फीस और खर्च स्कोरकार्ड में औसत स्तर पर पहुंच गई है। 2019 में भारतीय इंडस्ट्री की रैंकिंग औसत से नीचे के स्तर पर थी।
भारत के अलावा बेल्जियम, डेनमार्क, जर्मनी, जापान और थाइलैंड की म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की रैंकिंग भी औसत स्तर पर है। शीर्ष स्तर की रैंकिंग में ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड्स और अमेरिका शामिल हैं। जबकि औसत से ऊपर की रैंकिंग में दक्षिण कोरिया, नॉर्वे, दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन और ब्रिटेन शामिल हैं। औसत से नीचे की रैंकिंग में कनाड़ा, चीन, फ्रांस और हॉन्ग कॉन्ग शामिल हैं।