जयपुर:राजस्थान के पूर्वर डिप्टी सीएम सचिन पायलट के तेवर बरकरार है। राहुल गांधी की मौजूदगी में दिल्ली में हुई सुलह के दो दिन बाद ही पायलट ने बगावती तेवर दिखा दिए है। सचिन पायलट ने साफ कहा कि वह अपनी मांगों से किसी प्रकार कोई समझौता नहीं करेंगे। पायलट के बदलते हुए तेवरों से साफ जाहिर है कि राजस्थान में आने वाले दिन सीएम अशोक गहलोत के लिए चुनौती पूर्ण हो सकते है। उल्लेखनीय है कि सचिन पालयट ने सीएम गहलोत को अपनी मांगों के लिए 15 दिन का अल्टीमेटम दिया था। जिसकी मियाद 31 मई को खत्म हो गई है। सचिन पायलट ने साफ कर दिया है कि वह अपनी तीन मांगों पर कायम है।
अशोक गहलोत कर चुके हैं इनकार
सचिन पायलट ने अपने निर्वाचन क्षेत्र टोंक में मीडिया से बात करते हुए कहा- नया महीना शुरू होने वाला है। हम इंतजार करेंगे। कल क्या होता है। जानकारों का कहना है कि सचिन पायलट ने साफ कर दर दिया है वह पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है। जबकि सीएम अशोक गहलोत पायलट की मांगों को सिरे से खारिज कर चुके है। पेपर लीक के पीड़ितों को मुआवजा देने की मांग पर सीएम गहलोत ने सचिन पायलट का नाम लिए बिना कहा कि ऐसी मांग करना बुद्धि का दिवालियापन है। सीएम के बयान से साफ जाहिर है कि सचिन पायलट की मांगों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
अपने पिता के नक्शेकदम पर सचिन पायलट
उल्लेखनीय है कि सचिन पायलट अपने पिता के नक्शे कदम पर चल रहे हैं। सचिन पायलट के पिता की सोनिया गांधी से प्रतिद्वंद्विता कम नहीं थी। 1997 में कांग्रेस में रहकर कांग्रेस से बगावत उससे भी बड़ी बात थी। राजेश पायलट ने कांग्रेस की शीर्ष लीडरशिप से सीधी टक्कर ली थी। कांग्रेस में रहते हुए राजेश पायलट ने शीर्ष मंचों पर पार्टी को आईना दिखाने वाली बातें कही थी। वैसे ही कांग्रेस में रहते हुए सचिन पायलट अपनी ही सरकार को आईना दिखा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अपने पिता से विरासत में मिली बगावत ने फिर एक बार उबाल मारा है।