ग्वालियर:केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को ग्वालियर में चुनावी तैयारियों की समीक्षा की और पार्टी कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र देते हुए बागी नेताओं को ज्यादा भाव नहीं देने की बात कही। उन्होंने चार घंटे तक चली समीक्षा बैठक में 34 विधानसभा क्षेत्रों की चुनावी तैयारियों पर चर्चा की। सूत्रों की मानें तो शाह ने जीत के लिए कार्यकर्ताओं को चार सूत्र दिए। पहले सूत्र में उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि बागियों पर ज्यादा ऊर्जा बर्बाद करने की जरूरत नहीं है। ये नेता माहौल बदलते ही चुपचाप भाजपा के खेमे में जुट जाएंगे।
सूत्रों ने बताया कि शाह ने कार्यकर्ताओं से कांग्रेस को हराने वाले उम्मीदवारों की मदद करने की अपील की। उन्होंने उन दलों के छोटे दलों के नेताओं की मदद करने को भी कहा जो भाजपा उम्मीदवारों के विजय की राह को आसान बना सकते हैं। बैठक में कहा गया कि छोटे दलों के नेता जब कांग्रेस के वोट काटेंगे तो भाजपा की जीत की राह आसान हो जाएगी। ऐसे में कांग्रेस के वोट कटवा उम्मीदवारों पर भी फोकस करने को कहा गया है। साथ ही बूथ स्तर पर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने पर जोर दिया गया है।
जीत के मंत्र के तहत कार्यकर्ताओं से यह भी कहा गया है कि मतदान के दिन खुद सपरिवार वोट करें और चार परिचित परिवारों को भी कराएं। शाह ने एमपी में संभागीय बैठकें करने का निर्णय लिया था। उन्होंने सोमवार को इंदौर और ग्वालियर में बैठकें की। आखिरी बैठक ग्वालियर में बुलाई गई थी। शाह को ढाई बजे से होटल रेडिसन में ग्वालियर चंबल संभाग की बैठक लेनी थी लेकिन वह पांच बजे होटल पहुंचे। शाह ने बैठक में ग्वालियर चंबर संभाग की जिलेवार चुनाव तैयारियां जानीं।
सूत्रों की मानें तो शाह ने जिला अध्यक्षों से इंटरव्यू के अंदाज में सवाल जवाब शुरू किए तो कई अध्यक्ष हड़बड़ा गए। सूत्र बताते हैं कि उन्होंने एक जिला अध्यक्ष से पूछा कि पोलिंग बूथ स्तर पर मठ मंदिरों के प्रमुखों से भेंट, बाइक वाले पार्टी कार्यकर्ताओं की सूची और बूथ समितियों के गठन का काम पूरा हुआ कि नहीं? इस सवाल पर अध्यक्ष हड़बड़ा गए और ठीक से उत्तर नहीं दे पाए। इस पर शाह ने पूछा- भाजपा में कब से आए हो? अभी आपको और अभ्यास वर्ग (प्रशिक्षण शिविर) में भाग लेने की जरूरत है।
शाह ने पार्टी कार्यकर्ताओं को साफ संदेश दिया कि टिकट नहीं मिलने से नाराज नेताओं को मनाने पर ज्यादा ऊर्जा और समय बर्बाद ना करें। एक दो बार मनाने उनके घर जाएं। उन्हें समझाने का प्रयास करें। फिर भी वह नहीं मानें तो अपने काम मे जुट जाएं। ये नेता माहौल बदलने पर 10 नवंबर के आसपास ये खुद काम करते नजर आएंगे। कांग्रेस की ताकत केवल 30 से 35 फीसदी वोट ही हैं। इसे एक बार अपने साथ लेकर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाएं तो जीत की राह बेहद आसान हो जाएगी।