नवरात्रि का चतुर्थ स्वरूप कूष्मांडा है। इस दिन इनकी पूजा की जाती है। माता कूष्मांडा मानव के कष्टों का निवारण करती है। मां कूष्मांडा देवी को प्रसन्न करने के लिए पूजा-पाठ से अधिक उनमें एकाग्रता से मन लगाकर समर्पित भाव से ध्यान लगाना चाहिए। कर्म और विद्या से जो ज्ञान मिलेगा वह अपने ही पास रहेगा। माता कूष्मांडा का प्रिय रंग हरा और पीला है। इसलिए इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए।
दैहिक, दैविक और भौतिक तीनों ताप से युक्त मां कुष्मांडा के उदर में सारा संसार वास करता है। जातक को इन तीनों तापों से मुक्ति के लिए मां की आराधना ही एक जरिया माना गया है।
वैसे माता का दिन सभी 12 राशियों के लिए शुभ है, लेकिन मां कूष्मांडा की वृष और तुला राशि के लिए खास फलदायी हैं. इन राशि के जातकों को इनकी अराधना जरूर करनी चाहिए।
नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना करने से जातक के घरों में वंश वृद्धि करती हैं। उदर रोग कभी व्याप्त नहीं होता।