इस्लामाबाद:नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) के नेतृत्व वाली पाकिस्तानी सरकार (Pakistan Government) ने भारत के साथ व्यापार फिर से शुरू करने का फैसला किया है। इस काम के लिए एक व्यापार मंत्री नामित किया है। हालांकि इस फैसले को देश की गंभीर आर्थिक स्थिति के लिहाज से एक बड़े डेवलपमेंट के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन इसे इस्लामाबाद द्वारा एक बड़े समझौते और 5 अगस्त, 2019 के बाद भारत के खिलाफ अपने पिछले रुख से पीछे हटने के रूप में भी देखा जा रहा है।
कैबिनेट बैठक में शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) की अध्यक्षता में यह फैसला लिया गया कि पाकिस्तान भारत के साथ व्यापार को फिर से खोलने और नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के कमर जमर कैरा को व्यापार मंत्री के रूप में काम के लिए नियुक्त करने की दिशा में काम करेगा। इसके अलावा इसी तरह के व्यापार अधिकारियों और मंत्रियों को कम से कम 15 देशों में नामित किया जा रहा है, ताकि उनके संबंधित देशों के साथ व्यापार संबंधों और समझौतों को बढ़ाया जा सके।
भारत के साथ व्यापार फिर से शुरू करने का निर्णय एक कठिन फैसला है जो शहबाज शरीफ ने लिया है क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने मोदी सरकार द्वारा अपने संविधान के अनुच्छेद 370 (Article 370) को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर (Jammu and kashmir) के विशेष दर्जे को बदलने के बाद भारत के साथ व्यापार रोक दिया था। इमरान खान (Imran Khan) ने भारत के साथ राजनयिक संबंधों को भी निचले स्तर पर ले गए थे। इस्लामाबाद में तत्कालीन भारतीय उच्चायुक्त को भी देश छोड़ने के लिए कहा था।
इससे पहले भारत के साथ व्यापार को फिर से शुरू करने की उसी सिफारिश को तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति की बहाली तक खारिज कर दिया था। वर्तमान फैसले की पाकिस्तान के विश्लेषकों और जनता के बड़े तबके ने गंभीर आलोचना की है, जिसमें शहबाज शरीफ सरकार (Shehbaz Sharif Government) पर देशहित से समझौता करने और कश्मीर के लोगों की आशाओं को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया है।
पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार और विश्लेषक नाजिम जेहरा ने कहा कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा भारत के साथ व्यापार (Indo Pak Trade) की दिशा में उठाया गया कोई भी कदम न केवल कश्मीरियों को बेचैन करेगा बल्कि भारतीय आधिपत्य के प्रति नरम समर्पण की शुरुआत होगी। इस फैसले से शहबाज शरीफ को राजनीतिक तौर पर कोई मदद मिलने की भी उम्मीद नहीं है।
हालांकि, इसने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए निश्चित रूप से एक नया मौका दिया है, जिन्होंने शहबाज शरीफ को 5 अगस्त, 2019 के बाद भारत के सामने झुकने का नारा दिया है। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति मंदी की ओर बढ़ रहा है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से 6 अरब डालर के ऋण की मांग की गई है। आइएमएफ ने इसके लिए कड़ी शर्तें रखी है।