सरदारशहर, चूरु:लगभग 9 वर्षों बाद तेरापंथ की ऐतिहासिक भूमि व अपनी जन्मधरा पर लगभग 22 दिवसीय प्रवास हेतु पधारे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के इस प्रवास के दौरान तेरापंथ धर्मसंघ के कई महनीय कार्यक्रम समायोजित होने हैं। जिसमें 3 मई को अक्षय तृतीया, 10 मई को युगप्रधान अलंकरण महापर्व, इसके उपरान्त आचार्यश्री की षष्टिपूर्ति, जन्मोत्सव, पट्टोत्सव के भव्य कार्यक्रम होने हैं। इसके लिए देश के विभिन्न हिस्सों तथा विदेशों में भी प्रवासित श्रद्धालुओं के सरदारशहर पहुंचने का क्रम प्रारम्भ हो गया है। वर्तमान में सरदारशहर धर्मनगरी के रूप में स्थापित हो गई है, जहां हर कोई पहुंचने को लालायित है और तेरापंथ धर्मसंघ के इन महनीय कार्यक्रमों का साक्षी बनने को उत्सुक, उत्साहित और उल्लसित भी नजर आ रहे हैं। ऐसी गुरुकृपा को प्राप्त कर सरदारशहरवासी भी आह्लादित और अतिशय हर्षविभोर बने हुए हैं।
गुरुवार को प्रवास के दूसरे दिन युगप्रधान समवसरण में उपस्थित श्रद्धालुओं को आचार्यश्री ने अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि जैन वाङ्मय में कषाय की बात है। इनमें सबसे बड़ा परिवार मोहनीय कर्म का है। इनमें सबसे देर तक रहने वाला कषाय लोभ है। लोभ तो कभी साधु को भी उत्पथ में ले जाने वाला हो सकता है। इसलिए लोभ को पाप का बाप भी कहा गया है। लोभ के कारण आदमी कभी अनैतिक कार्य लेता है तो कभी झूठ बोल देता तो कभी हिंसा भी कर सकता है। लोभ को कम करने के लिए गृहस्थ को परिग्रह की सीमा और अपनी इच्छाओं का अल्पीकरण करने का प्रयास करना चाहिए। श्रावक के बारह व्रतों में पांचवां व्रत है इच्छा परिमाण व्रत। एक अवस्था के बाद गृहस्थ जीवन में परिग्रह का अल्पीकरण करने का प्रयास करना चाहिए। अनैतिकता और झूठ से बचने का प्रयास करना चाहिए। जीवन में प्रमाणिकता, नैतिकता बनी रहे और झूठ से बचने का प्रयास हो तो लोभ को कम अथवा क्षीण किया जा सकता है।
आचार्यश्री की पावन प्रेरणा के उपरान्त उपस्थित श्रोताओं को मुख्यनियोजिका साध्वी विश्रुतविभाजी व साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी ने भी संबोधित किया। संसारपक्ष में सरदारशहर से सम्बद्ध साध्वी सुमतिप्रभाजी, समणी सौम्यप्रज्ञाजी व समणी मंजूप्रज्ञाजी ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। संसारपक्ष में सरदारशहर से सम्बद्ध साध्वियों व समणियों ने संयुक्त रूप से गीत का संगान किया। आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति-सरदारशहर की महामंत्री श्रीमती सूरज बरड़िया व उपाध्यक्ष श्री अशोक नाहटा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति के द्वारा अपने आराध्य की अभिवंदना की।