नई दिल्ली। पाकिस्तान अकसर दुनिया के मंचों पर कश्मीरियों पर भारतीय सेना के अत्याचार की झूठी कहानियां सुनाता है, लेकिन अब उसके सुरक्षा बलों ने पीओके में आम लोगों को निशाना बनाया है। खाद्यान्न और बिजली की महंगी कीमतों का विरोध करने वाले लोगों पर फायरिंग हुई है, जिसमें तीन लोगों की सोमवार को मौत हो गई। यह वही दिन था, जब भारत में चुनाव हो रहे थे और श्रीनगर लोकसभा सीट पर रिकॉर्ड मतदान हुआ। इस तरह पाकिस्तान की पोल खुल गई, जो दशकों से पीओके के लोगों के साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है। खासतौर पर बीते साल 9 मई के बाद यह स्थिति बढ़ गई है।
शहबाज शरीफ सरकार की ओर से 23 अरब का पैकेज घोषित किए जाने के बाद पीओके में आंदोलन फिलहाल ठहर गया है, लेकिन पाकिस्तान को लाल झंडी जरूर दिखा दी है। एक तरफ जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर जैसे इलाकों में तेजी से विकास हो रहा है तो वहीं पीओके पिछड़ गया है। पीओके के लोग पाकिस्तान पर उत्पीड़न और सौतेले व्यवहार का आरोप लगा रहे हैं। पाकिस्तान और पश्चिमी मीडिया ने भले ही पीओके में हुए इस जोरदार आंदोलन को नजरअंदाज किया, लेकिन समाहमी, सेहानसा, मीरपुर, डडयाल, रावलकोट, तत्तापानी और हट्टियान बाला में प्रदर्शन हुए।
माना जा रहा है कि आंदोलन की अगुवाई करने वाली जॉइंट अवामी ऐक्शन कमेटी के 70 लोगों को अरेस्ट कर लिया गया था। इसके बाद ही पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच भिड़ंत हुई। इन झड़पों में अब तक 100 से ज्यादा लोग जख्मी हो चुके हैं और तीन की मौत हो चुकी है। वहीं एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई है। इस आंदोलन ने पाकिस्तान के दावों को उजागर कर दिया है, जो लगातार भारत पर ही आरोप लगाता रहा है। कश्मीरी लोगों के लिए घड़ियाली आंसू बहाने वाले पाकिस्तान ने जिस इलाके पर अवैध कब्जा जमा रखा है, वहीं के लोगों को उत्पीड़न झेलना पड़ रहा है।
आइए जानते हैं, क्या हैं पीओके के आंदोनकारियों की मांगें…
– गिलगित बाल्टिस्तान की तर्ज पर गेहूं की सब्सिडी दी जाए।
– मंगला डैम से बनने वाली बिजली की लागत के आधार पर ही इलेक्ट्रिसिटी का बिल लिया जाए।
– पंजाबी अधिकारियों को मिलने वाले अधिक वेतन और भत्तों को वापस लिया जाए।
– छात्र यूनियनों पर बैन हटे और चुनाव कराए जाएं।
– पीओके में जम्मू-कश्मीर बैंक को भी अधिसूचित किया जाए।
– स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों को उचित फंड और शक्तियां मिलें।
– सेलुलर कंपनियों और इंटरनेट के रेटों को भी उचित किया जाए।
– प्रॉपर्टी ट्रांसफर टैक्स कम किया जाए।
– जवाबदेही ब्यूरो का गठन किया जाए और गलती करने वाले लोगों पर ऐक्शन हो।
– स्थानीय स्तर पर उद्योगों को बढ़ावा मिले और पेड़ों को काटने पर पाबंदी लगाई जाए।