डेस्क:जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने का वादा किया है, और इस प्रक्रिया को न्यायालयों के माध्यम से नहीं, बल्कि प्राथमिक अवसर देकर बहाल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को पहला मौका दिया जाना चाहिए। यह बयान उन्होंने मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद अपनी पहली प्रेस वार्ता में दिया।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने का वादा किया है, और इस प्रक्रिया को न्यायालयों के माध्यम से नहीं, बल्कि प्राथमिक अवसर देकर बहाल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को पहला मौका दिया जाना चाहिए। यह बयान उन्होंने मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद अपनी पहली प्रेस वार्ता में दिया।
अब्दुल्ला ने यहां शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा, “उच्चतम न्यायालय ने भी अपने फैसले में कहा था कि राज्य का दर्जा यथाशीघ्र बहाल किया जाना चाहिए। तब से एक वर्ष बीत चुका है और हमारा मानना है कि एक वर्ष काफी है।” अब्दुल्ला ने कहा, “हमें सत्ता में आए दो महीने से थोड़ा अधिक समय हो गया है। हमें यह समझने में समय लगा कि केंद्र शासित प्रदेश सरकार कैसे काम करती है। हम पहले भी सरकार चला चुके हैं, लेकिन उस स्वरूप और वर्तमान स्वरूप में बहुत अंतर है।”
अब्दुल्ला ने इन अटकलों को खारिज कर दिया कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर की सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है और नेशनल कांफ्रेंस भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल हो सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री, गृह मंत्री या राजभवन की ओर से हम पर अपनी विचारधारा बदलने का कोई दबाव नहीं है। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने मुझसे कहा है कि आपकी सरकार अस्थिर नहीं होगी और हम आपको वैसा ही सहयोग देंगे जैसा उपराज्यपाल को दिया गया है।’’ अब्दुल्ला ने कहा, “उन्होंने कहा है कि वे जनादेश का सम्मान करेंगे। जो लोग यह अफवाह फैला रहे हैं कि मैं अब राजग में शामिल हो जाऊंगा और मैंने अपनी विचारधारा बदल ली है, तो मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता। मैं काम करने आया हूं और काम करूंगा।”
उन्होंने कहा कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि उनकी पार्टी का घोषणापत्र पांच साल के कार्यकाल के लिए था, न कि पांच सप्ताह या पांच महीने के लिए। नेकां नेता ने कहा, “कुछ मुद्दे हमारे लिए महत्वपूर्ण थे और हमने उनपर काम किया, जिसमें राज्य का दर्जा और विशेष दर्जे का प्रस्ताव शामिल है।” अब्दुल्ला ने कहा कि लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए उनकी आकांक्षाएं पूरी की जानी चाहिए।