पटना:राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की बिहार में चुनावी राजनीति में उतरने की योजना से राज्य कांग्रेस में बेचैनी है। हालांकि पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने इस बात को खारिज कर दिया कि इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (आई-पीएसी) का नेतृत्व करने वाले प्रशांत किशोर जाति आधारित राजनीति में खुद के लिए जगह बनाने में सक्षम होंगे।
वहीं दूसरी ओर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) प्रमुख भक्त चरण दास की अचानक पटना यात्रा पर आना कुछ और ही इशारा कर रहे हैं। दास ने पटना यात्रा के दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ वर्तमान राजनीति की स्थिति को लेकर बैठक की।
प्रशांत किशोर के संगठन के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि पीके एक कांग्रेस कार्यकर्ता के परिवार में पले-बढ़े हैं। उनके पिता श्रीकांत पांडे, जो बक्सर में एक डॉक्टर थे, केके तिवारी के कार्यकाल के दौरान कांग्रेस पार्टी के शीर्ष राजनीतिक रणनीतिकारों में से एक थे। कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ उनके अभी अच्छे संबंध हैं, जो या तो पार्टी द्वारा साइड लाइन कर दिए गए हैं या एआईसीसी के शीर्ष नेताओं के ध्यान न देने के कारण खुद को अलग-थलग कर लिया है।
बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा कि भक्त चरण दास ने मदन मोहन झा और कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। इसके अलावा दिल्ली लौटने से पहले दास ने परशुराम जयंती के अवसर पर ब्राह्मण-भूमिहार महासभा द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भी भाग लिया।
प्रशांत किशोर को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चंदन बागची ने कहा है कि राजनीतिक दलों के लिए रणनीति तैयार करना और इसे जमीन पर लागू करना पूरी तरह से अलग मामला है। प्रशांत किशोर की कोई निश्चित विचारधारा या सिद्धांत नहीं है। उन्होंने भाजपा के साथ शुरुआत की, फिर जेडीयू और कांग्रेस के लिए काम किया और बाद में तृणमूल कांग्रेस के साथ काम किया। बागची ने हालांकि उस जवाब को टाल दिया जब उनसे पूछा गया कि कुछ कांग्रेसी नेताओं ने प्रशांत किशोर से बीती रात गुपचुप तरीके से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि इस बारे में मैं कुछ नहीं जानता हूं। और यदि ऐसा कुछ हुआ भी होगा तो वह कोई प्रतिबद्ध पार्टी कार्यकर्ता नहीं हो सकता।
दूसरी ओर आई-पीएसी से जुड़े एक पदाधिकारी ने कहा है कि प्रशांत किशोर ने पटना में कई राजनीतिक नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं से मुलाकात की थी और उनके साथ एक राजनीतिक संगठन शुरू करने की अपनी योजनाओं पर चर्चा की थी। कांग्रेस सहित कई असंतुष्ट नेताओं ने प्रशांत किशोर के साथ जाने के लिए अपनी रुचि दिखाई। कांग्रेस सबसे आसान निशाना है, क्योंकि यह असंतुष्टों से भरी हुई है। संगठन के प्रति एआईसीसी प्रमुख की उदासीनता से कई लोग निराश हैं। बिहार में पार्टी सदमे में है। मदन मोहन झा को बीपीसीसी प्रमुख के रूप में पद छोड़े कई महीने हो गए लेकिन एआईसीसी के पास उपयुक्त उम्मीदवार की पेशकश करने का समय नहीं है।