डेस्क:पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों ने मंगलवार को फिर से काम बंद करने का ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि मेडिकल कैंपस में सुरक्षा सुनिश्चित करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर ममता बनर्जी सरकार पर दबाव बनाने के लिए यह फैसला लिया गया। इससे पहले जूनियर डॉक्टर्स काम रोककर 42 दिनों तक विरोध प्रदर्शन करते रहे और 21 सितंबर को सरकारी अस्पतालों में ड्यूटी पर लौटे थे। दरअसल, 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ऑन-ड्यूटी ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। इसके विरोध में पूरे देश में प्रदर्शन हुए और कोलकाता के जूनियर डॉक्टर्स ने सुरक्षा की मांग को लेकर काम रोक दिया।
आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों में से एक अनिकेत महतो ने कहाकि सुरक्षा से जुड़ी हमारी मांगों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार की ओर से कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई है। आज विरोध प्रदर्शन का 52वां दिन है। हमारे ऊपर अभी तक हमले हो रहे हैं। आंदोलन के दौरान किए गए अन्य वादों को पूरा करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ बैठक के बाद, हमारे पास आज से पूर्ण काम बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि जब तक राज्य सरकार इन मांगों पर स्पष्ट कार्रवाई नहीं करती, तब तक काम पूरी तरह बंद रहेगा।
इससे पहले पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से भी बयान जारी किया गया। राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत ने सोमवार को कहाकि सरकार अस्पतालों में चिकित्सकों की सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए काम कर रही है और इसके परिणाम जल्द ही सामने आएंगे। कोलकाता के सरकारी आर.जी. कर अस्पताल में महिला प्रशिक्षु चिकित्सक से दुष्कर्म और हत्या मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर पंत ने कहा कि आंदोलनकारी कनिष्ठ चिकित्सकों को अधीर नहीं होना चाहिए।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सा महाविद्यालयों में सीसीटीवी कैमरे लगाने और शौचालयों और अलग विश्राम कक्ष के निर्माण में पश्चिम बंगाल सरकार की धीमी प्रगति पर असंतोष व्यक्त किया। साथ ही राज्य को 15 अक्टूबर तक चल रहे कार्य को पूरा करने का निर्देश दिया। पंत ने कहा कि राज्य सरकार को उम्मीद है कि आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टर्स अपनी जिम्मेदारियों से अवगत हैं और अपनी पूरी क्षमता से मरीजों की सेवा करेंगे।
उन्होंने कहा कि हर जगह काम चल रहा है। कुछ जगहों पर 30 फीसदी काम पूरा हो चुका है और कुछ जगहों पर 70 फीसदी। सरकार सचेत और सक्रिय है। मुख्यमंत्री (ममता बनर्जी) खुद स्थिति पर नजर रख रही हैं।