भारत और ब्रिटेन के बीच जो नजदीकी देखी गई है, उसे आने वाले वर्षों तक याद किया जाएगा। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का भारत दौरा दर्ज करने लायक मोड़ साबित हो सकता है। ब्रिटेन आर्थिक संबंधों को बढ़ाना चाहता है, साथ ही, रक्षा मामलों में भी भारत के साथ सहयोग बेहतर करने को लालायित है। हो सकता है, ब्रिटेन की यह कोशिश इसलिए भी हो कि रूस पर भारत की निर्भरता कम हो जाए, लेकिन तब भी भारत जिस तरह से अपना हित देखते हुए मजबूती से आगे बढ़ रहा है, वह मानीखेज है। खास कामयाबी यह कि ब्रिटेन भारत को एक ओपन जनरल एक्सपोर्ट लाइसेंस जारी करेगा, जिससे रक्षा खरीद आपूर्ति में कम समय लगेगा। इसके अलावा ब्रिटेन लड़ाकू जेट बनाने में भी भारत की मदद करेगा। हिंद महासागर में भारत की ताकत बढ़ाने की दिशा में भी वह मदद करना चाहता है। सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और स्वास्थ्य क्षेत्र में ब्रिटेन ने भारत में निवेश बढ़ाने की बात भी की है। इतना ही नहीं, दोनों देश इसी साल के अंत तक एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौता भी करने वाले हैं। इस तरह का समझौता पहले ही हो जाना चाहिए था, लेकिन अगर ब्रिटेन इस दिशा में अब बढ़ रहा है, तो भारत की बढ़ी हुई अहमियत को हम नजरंंदाज नहीं कर सकते।