नई दिल्ली:वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल मुकाबले का पहला दिन ऑस्ट्रेलिया के नाम रहा। ट्रेविस हेड (146*) के शतक और स्टीव स्मिथ की नाबाद 95 रनों की पारी के दम पर कंगारू पहले दिन का खेल खत्म होने तक बोर्ड पर 327 रन लगाने में कामयाब रहे। दोनों बल्लेबाजों के बीच चौथे विकेट के लिए 251 रनों की साझेदारी हो गई है। 76 रनों पर तीन विकेट खोने के बाद इन दोनों बल्लेबाजों ने ऑस्ट्रेलिया की जोरदार वापसी कराई है। पहले दिन का खेल खत्म होने के बाद भारतीय कप्तान रोहित शर्मा पर सवाल उठने लगे। रोहित शर्मा की तीन ऐसी गलतियां रही जो 10 साल बाद भारत के आईसीसी ट्रॉफी जीतने के सपने को तोड़ सकती है। यह बात कहना थोड़ा जल्दी होगा, मगर कप्तान के कुछ फैसलों ने भारत के इस सपने को सेंध जरूर लगा दी है।
रोहित शर्मा ने ओवल की पिच और बादलों से घिरे मैदान को देखते हुए टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला लिया। मगर जैसे ही बादल छटे और धूप खिली तो कप्तान को भी अपने इस फैसले पर निराशा हुई होगी। दरअसल, डब्ल्यूटीसी के फाइनल मुकाबले के पहले 3 दिन बारिश की संभावना ना के बराबर है, ऐसे में कुछ बादल देखकर टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला काफी हैरान कर देने वाला था। ओवल के इस मैदान पर बैटिंग पहले करने वाली टीम 38 मैच तो फील्डिंग करने वाली टीम 29 मैच जीती है। वहीं भारत का टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का रिकॉर्ड भी कुछ अच्छा नहीं रहा है। टीम इंडिया ने टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में टॉस जीतकर 57 बार पहले गेंदबाजी की है जिसमें 9 ही मैच भारत जीत पाया है।
डब्ल्यूटीसी के पिछले फाइनल में भारत तीन तेज गेंदबाज और दो स्पिनर के साथ मैदान पर उतरा था। उस दौरान टीम इंडिया को 8 विकेट से हार का सामना करना पड़ा था। ओवरकास्ट कंडीशन में भारत के दो स्पिनर के साथ उतरने के फैसले की काफी आलोचना हुई थी। टीम इंडिया ने उस गलती से इस बार सबक तो लिया, मगर शायद वह वेदर कंडीशन को सही से नहीं पढ़ पाई। ओवल के पहले दिन बारिश की संभावना नहीं है, ऐसे में अश्विन इस पिच पर असरदार साबित हो सकते थे। ऐसा नहीं है कि अश्विन ने पिछले फाइनल में खराब प्रदर्शन किया था और खूब रन लुटाए थे। अश्विन ने किफाती गेंदबाजी करने के साथ विकेट भी चटकाए थे, मगर यह संभावनाएं जताई जा रही थी कि भारत अगर चार तेज गेंदबाजों के साथ जाता तो ज्यादा बेहतर होता। मगर इस बार अश्विन को ड्रॉप करने की भूल भारत पर भारी पड़ती दिख रही है। बता दें, यह ऑफ स्पिनर इस संस्करण में भारत के लिए सबसे ज्यादा विकेट लेने वाला गेंदबाज है।
ऑस्ट्रेलिया में ट्रेविस हेड को बाउंसर पर काफी बार आउट होता देखा गया है, वहीं इस तरह की गेंदबाजी के सामने टेस्ट स्पेशलिस्ट स्टीव स्मिथ भी परेशान होते दिखाई देते हैं। मगर जब यह दोनों बल्लेबाज क्रीज पर पैर जमा रहे थे, तब रोहित शर्मा की ओर से अटैकिंग गेंदबाजी नहीं देखने को मिली। शुरुआत में दोनों ही बल्लेबाजों के खिलाफ बाउंसर की रणनीति का इस्तेमाल नहीं किया गया। जब हेड शतक के करीब पहुंच गए तब सिराज और शमी की जोड़ी ने यह रणनीति अपनाई मगर तब तक देरी हो गई थी। हेड ने उस पड़ाव को आसानी से पार कर अपने टेस्ट करियर का 6ठां शतक ठोका। इसके अलावा रोहित ने शुरुआती स्पेल के अलावा भी शमी और सिराज की जोड़ी को एक साथ अटैक पर लगाया। अगर वह शार्दुल और उमेश के साथ उन्हें रोटेट करते तो शायद भारत ऑस्ट्रेलिया पर अधिक दबाव बना सकता था। ऐसी स्थिति में सिराज या शमी एक छोर से दबाव बनाते, वहीं दूसरे छोर से गेंदबाजी कर रहे उमेश या शार्दुल के खिलाफ रन बनाने के प्रयास में स्मिथ और हेड जोखिम लेते। इस प्रयास में भारत को विकेट मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती।