मास्को: मास्को और लंदन के बीच तनाव और बढ़ गया है। मंगलवार को रूस ने ब्रिटेन की नई लेबर सरकार के कई वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों के देश में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया। रूस ने इसे ब्रिटेन की “रूसोफोबिक” नीतियों के खिलाफ प्रतिक्रिया करार दिया।
कौन-कौन हैं प्रतिबंधित?
रूस के विदेश मंत्रालय ने प्रतिबंधित अधिकारियों की सूची जारी की, जिसमें प्रधानमंत्री कीर स्टारमर की सरकार के प्रमुख नेता शामिल हैं:
- रेचल रीव्स, चांसलर ऑफ द एक्सचेकर
- एंजेला रेयनर, उप प्रधानमंत्री
- यवेट कूपर, गृह मंत्री
- इसके अलावा एक दर्जन से अधिक वरिष्ठ राजनेता।
यह प्रतिबंध रूस की ओर से ब्रिटेन की नई सरकार के खिलाफ उठाए गए सबसे स्पष्ट प्रतिशोधात्मक कदमों में से एक है।
प्रतिबंध का कारण
यह कदम यूक्रेन, रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आलोचना जैसे मुद्दों पर ब्रिटेन के कड़े रुख के बीच उठाया गया है। ब्रिटेन लंबे समय से यूक्रेन का समर्थन करते हुए रूस के खिलाफ कड़े कदम उठा रहा है, जिसमें सैन्य सहायता और आर्थिक प्रतिबंध शामिल हैं।
रूस ने इन नीतियों को “रूसोफोबिक” बताते हुए लंदन पर शत्रुता को बढ़ावा देने और कूटनीतिक संबंधों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया।
यूके-रूस संबंधों पर प्रभाव
रूस और ब्रिटेन के बीच संबंध लंबे समय से तनावपूर्ण रहे हैं। 2018 में सर्गेई स्क्रिपल और उनकी बेटी पर सैलिसबरी में हुए जहर हमले के बाद से दोनों देशों के रिश्ते और खराब हो गए थे। यूक्रेन युद्ध ने इस दूरी को और बढ़ा दिया है, जिसमें दोनों पक्ष एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे हैं।
इस प्रतिबंध के बाद वरिष्ठ ब्रिटिश अधिकारियों की रूस यात्रा असंभव हो गई है, जिससे दोनों देशों के बीच कूटनीतिक बातचीत और मुश्किल हो सकती है।
रूस का बयान
रूस के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि यह कदम “आवश्यक और उचित प्रतिक्रिया” है, क्योंकि ब्रिटेन की नीतियां रूस विरोधी एजेंडे से प्रेरित हैं। मंत्रालय ने चेतावनी दी कि अगर ब्रिटेन अपनी मौजूदा नीतियों पर कायम रहा, तो और कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।
ब्रिटेन की प्रतिक्रिया
ब्रिटेन सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, अतीत में ब्रिटेन ऐसे प्रतिबंधों की आलोचना करते हुए उन्हें रूस की घरेलू समस्याओं और अंतरराष्ट्रीय अलगाव से ध्यान भटकाने की कोशिश बताता रहा है।
आगे का रास्ता
जैसे-जैसे ब्रिटेन यूक्रेन का समर्थन करता रहेगा और पश्चिमी सहयोगियों के साथ मिलकर रूस के खिलाफ कड़े कदम उठाएगा, वैसे-वैसे रूस की ओर से और प्रतिबंध या कड़े कदम उठाने की संभावना बनी रहेगी। यह प्रतिबंध दोनों देशों के बीच बढ़ती राजनीतिक दूरी को दर्शाता है और निकट भविष्य में संबंधों के सुधार की संभावनाओं को सीमित करता है।