सरदारशहर, चूरु:दिनांक 9 मई 2010 को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के दसवें अनुशास्ता, महान दार्शनिक आचार्यश्री महाप्रज्ञजी का महाप्रयाण राजस्थान के चूरू जिले के सरदारशहर में हो गया था। इसके बाद लगभग बारह वर्षों बाद यह पहला अवसर था जब उनके परंपर पट्टर, तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी तिथि व दिनांक के हिसाब से पड़ने वाले महाप्रयाण दिवस पर अपने सुगुरु के समाधिस्थल पर उपस्थित रहे।
सोमवार को सूर्योदय के पश्चात आचार्यश्री अपने आध्यात्मिक गुरु, उत्तराधिकार प्रदाता, महान दार्शनिक आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के समाधि पर पधारे। आचार्यश्री ने कुछ क्षण अपने ध्यान, स्मरण किया तदुपरान्त जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा द्वारा निर्मित अत्याधुनिक तकनीक से युक्त ‘महाप्रज्ञ दर्शन’ म्यूजियम का पुनः अवलोकन करने के उपरान्त नगर की ओर प्रस्थित हुए। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के महाप्रयाण के बाद यह पहला अवसर था जब आचार्यश्री महाप्रयाण के तिथि और दिनांक दोनों की दिनों के अवसर पर अपने सुगुरु की समाधि पर उपस्थित रहे। आचार्यश्री श्रद्धालुओं पर आशीषवृष्टि करते नगर की बढ़े। रास्ते में अनेकानेक श्रद्धालुओं को अपने-अपने घरों व व्यावसायिक प्रतिष्ठानों आदि के आसपास आचार्यश्री के दर्शन और श्रीमुख से मंगलपाठ श्रवण का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
लगभग दस बजे के आसपास पुनः सरदारशहर स्थित तेरापंथ भवन में पधारे। युगप्रधान समवसरण में उपस्थित श्रद्धालुओं को आचार्यश्री ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि हमारे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ में 32 आगमों का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनमें ग्यारह अंग, 12 उपांग, 4 मूल, 4 छेद और एक आवश्यकसूत्र। इनमें एक है उत्तराध्ययन। इसमें 32 अध्याय हैं। इसके प्रथम अध्याय में विनय का प्रशिक्षण दिया गया है। 32वां अध्ययन साधना के संदर्भ में तो 29वां अध्ययन प्रश्नोत्तर के रूप में है। इसके 10वें अध्ययन में बार-बार एक बात बताई गई है कि समय मात्र भी प्रमाद में मत गंवाओ।
आज दिनांक से देखा जाए तो 9 मई 2010 को इसी सरदारशहर में परम पूज्य आचार्य महाप्रज्ञजी का महाप्रयाण हो गया था। किसी का भी जीवन स्थाई नहीं होता। यह संसार अनित्य है। संसार का प्रत्येक पदार्थ नित्यानित्य है। पदार्थ शाश्वत भी हैं तो पदार्थ विनाशधर्मा भी हैं। उत्पाद, व्यय और ध्रौव्य। आत्मा के साथ शरीर का योग है। पहले शिशु, किशोर, युवा, प्रौढ़ और फिर वृद्ध होकर एक दिन अवसान को प्राप्त हो जाता है। शरीर भले घटता-बढ़ता है अथवा नष्ट होता है, किन्तु आत्मा हर समय मौजूद होती है। यह संसार नश्वर है, इसलिए आदमी को अनित्यता का चिंतन करते हुए अनासक्त रहने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती नीलम सेठिया, तेरापंथी सभा-सरदारशहर के कोषाध्यक्ष श्री भंवरलाल नखत, श्री तनिष्क दूगड़, श्रीमती नीता बोथरा, सुश्री कोमल दूगड़, श्री ललित दूगड़ ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। दूगड़ परिवार की महिलाएं, सुश्री प्रांजू दफ्तरी, अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल की सदस्याएं, श्रीमती भारती डागा, श्रीमती शशि पींचा व श्रीमती सरला बरड़िया ने पृथक्-पृथक् गीत का संगान किया।
अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल के पदाधिकारियों द्वारा ब्राह्मी लिपि में तैयार पाण्डुलिपि, नारिलोक विशेषांक आदि पूज्यचरणों में प्रस्तुत कर आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। श्रीमती शीला संचेती ने अपनी पेंटिंग पूज्यचरणों में अर्पित की।
10 मई को युगप्रधान पदाभिषेक का होगा आयोजन
तिरंगा स्टेडियम, एस.बी.डी. कॉलेज प्रांगण में कल आचार्य श्री महाश्रमण जी के षष्ठिपूर्ति (साठ वर्ष सम्पन्नता) के अवसर पर युगप्रधान पदाभिषेक पर्व का आयोजन होगा। जिसमें सकल धर्मसंघ द्वारा आचार्य श्री को युगप्रधान की पदवी प्रदान की जाएगी। प्रातः 09 बजे से होने वाले इस ऐतिहासिक समारोह का साक्षी बनने के लिए देशभर से हजारों की तादाद में श्रद्धालु सरदारशहर पहुंचने लग गए हैं। पारस चौनल एवं यूट्यूब तेरापंथ चैनल पर इसका लाइव प्रसारण भी होगा। 11 मई को आचार्य पदाभिषेक समारोह भी मनाया जाएगा।