हरिद्वार: विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की दो दिवसीय बैठक में देश भर से आए साधु-संतों ने देश के कई ज्वलंत मुद्दों पर अपने विचार प्रस्तुत किये। बैठक में धर्मांतरण, समान नागरिक कानून, और मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से बाहर किए जाने जैसे चार बिंदुओं पर प्रस्ताव पास किया गया।
मौके पर उपस्थित अनंत श्री विभूषित महामंडलेश्वर स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती जी महाराज, श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने मण्डल की बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि शिक्षापद्धति के कारण यदि हमारी लड़कियाँ लव जिहाद का शिकार हो रहीं या धर्मांतरण हो रहा तो उन्हीं स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाली मुस्लिम लड़कियाँ क्यों नहीं बहकती? अपनी भूल को दूसरे के सिर मढ़ना छोड़ना होगा व् बच्चों को बचपन से धार्मिक संस्कार देने होंगे। जहाँ भी विधर्मी आचरण देखें उसका प्रतिकार करने का साहस हमें करना होगा।
स्वामी चिदम्बरानन्द जी महाराज ने अपने सम्बोधन को जारी रखते हुए कहा कि हमने क्रिसमस के समय आश्रम का वार्षिकोत्सव मनाना आरम्भ किया… परिणाम ये हुआ कि क्रिसमस पर जहाँ भीड़ रहती थी, अब चार पाँच लोग रह गए और कथा में ढाई हजार की भीड़ होती है। यूरोप में अनेक चर्च, मन्दिर बन रहे हैं…एक शेख ज़फर चैतन्य सनातनी बना तो पचास के लगभग और मुस्लिम हिन्दू रूप में वापस हुए।
चिदम्बरानन्द जी महाराज ने आगे कहा, “समस्या अनेक हैं पर इनका समाधान एक है …. हमें हमारी सक्रियता बढ़ानी होगी। ज्ञानवापी प्रकरण में अभी किसी आन्दोलन की आवश्यकता भले न हो पर पवित्र शिवलिंग को फव्वारा बताने वालों और पत्थरबाजों के विरुद्ध हमारा मौन उनका साहस बढ़ाता है और हिन्दुओं को हतोत्साहित करता है। इसी तरह पालघर में संतों की नृशंस हत्या के बाद की हमारी चुप्पी हिन्दू समाज को कचोटती है। मार्गदर्शक मण्डल के सन्त कहीं दर्शक मण्डल बनकर न रह जाएँ…..अतः हम सभी सन्तों को सार्वजनिक रूप से मुखर होने की आवश्यकता है।