रांची:झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खनन लीज के मामले में भारत निर्वाचन आयोग से मिले नोटिस का जवाब सौंप दिया है। छह मई को हाईकोर्ट में शपथपत्र के माध्यम से दाखिल किए गए जवाब को आधार बनाकर ही निर्वाचन आयोग के समक्ष सीएम सोरेन ने पक्ष रखा है। मिली जानकारी के अनुसार, शुक्रवार को विशेष प्रतिनिधि के माध्यम से आयोग को भेजे गए जवाब में उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनके पास कोई खनन लीज नहीं है।
सीएम का कहना है कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह राजनीति से प्रेरित हैं। अपने ऊपर लगाये गए आरोपों को भी उन्होंने गलत और भ्रामक बताया है। मुख्यमंत्री के जवाब के बाद अब आगे भारत निर्वाचन आयोग अपना परामर्श राज्यपाल को देगा। राज्यपाल इस परामर्श को मानेंगे। ऐसे में चुनाव आयोग के अगले कदम पर सबकी निगाहें टिकी हैं।
खनन लीज को लेकर लगाये गए आरोप राजनीति से प्रेरित: हेमंत
खनन लीज मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सील बंद लिफाफे में अपना जवाब चुनाव आयोग को दिया है। सूत्रों के अनुसार सीएम की ओर से बताया गया है कि रांची के अनगड़ा में 88 डिसमिल जमीन की माइनिंग लीज 17 मई 2008 को दस साल के लिए दिया गया था। वर्ष 2018 में उन्होंने लीज नवीकरण के लिए आवेदन दिया था, लेकिन आवेदन स्वीकार नहीं किया गया।
इसके बाद रांची के उपायुक्त ने वर्ष 2021 में नए सिरे से खनन लीज के लिए आवेदन आमंत्रित किया। उन्होंने आवेदन दिया और नियमों का पालन करते हुए उन्हें माइनिंग लीज दी गई। उन्हें चार फरवरी तक खनन करने की स्वीकृति (सीटीओ) नहीं मिली। उन्होंने बगैर खुदाई किए लीज सरेंडर कर दिया। उनके पास कोई खनन लीज नहीं है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आयोग को बताया है कि उन पर माइनिंग लीज लेने के जो आरोप लगाए गए हैं वह तथ्यों से परे हैं।
ऐसे में विधानसभा से अयोग्य किए जाने का कोई आधार नहीं बनता है। इसलिए चुनाव आयोग का नोटिस और यह जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं मानी जा सकती। जब इस मामले की सुनवाई शुरू होगी तो जरूरत पड़ने पर वह इस पर कई कानूनी बिंदु भी अदालत के समक्ष पेश करेंगे। बता दें कि पिछले दिनों राज्यपाल रमेश बैस से मिलकर भाजपा नेताओं ने सीएम हेमंत सोरेन पर पद पर रहते हुए अपने नाम से खनन लीज लेने का आरोप लगाया था।
साथ ही लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9 ए के तहत अयोग्य करार देने के लिए चुनाव आयोग से परामर्श लेने के लिये आग्रह किया। राज्यपाल को परामर्श देने से पहले निर्वाचन आयोग ने मुख्यमंत्री को नोटिस देकर 10 मई तक उनका पक्ष मांगा। लेकिन, मुख्यमंत्री ने अपनी मां की बीमारी का हवाला देकर अतिरिक्त समय की मांग की। आयोग ने 10 दिनों का अतिरिक्त समय दिया, जिसकी मियाद 20 मई को समाप्त हो गई।