कोलंबो:श्रीलंका के हालत बद से बदतर होते जा रहे हैं। वहां की स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि श्रीलंका का मौजूदा उपयोग योग्य विदेशी भंडार 50 मिलियन डॉलर से भी कम पर पहुंच गया है। श्रीलंका के वित्त मंत्री अली साबरी ने बुधवार को संसद में एक सांकेतिक लाल झंडा फहराकर इस बात की चिंता व्यक्त की है। ऐसा कहकर उन्होंने बकायदा संसद को चेतावनी भी दी है।
‘श्रीलंका ने कर दी है ऐतिहासिक गलती’
दरअसल, श्रीलंका के वित्त मंत्री अली साबरी ने बुधवार को संसद को बताया कि देश का मौजूदा उपयोग योग्य विदेशी भंडार 50 मिलियन डॉलर से कम है। उन्होंने बताया कि श्रीलंका को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से काफी पहले ही सहायता मांगनी चाहिए थी और अब आईएमएफ कार्यक्रम में प्रवेश करने में कम से कम छह महीने लगेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने काफी समय पहले ही आईएमएफ के कार्यक्रम को न अपनाकर ‘ऐतिहासिक गलती’ की है।
आईएमएफ में भारत की भूमिका की सराहना
वित्त मंत्री ने देश को वित्तीय संकट से उबारने के लिए आईएमएफ से बातचीत में भारत की मदद की सराहना की। आईएमएफ से बातचीत करके स्वदेश लौटे साबरी ने आईएमएफ में की गई वार्ता और संकट की वित्तीय स्थिति के बारे में संसद में बुधवार को भाषण में कहा कि भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से उनकी दो बार मुलाकात हुई और उन्होंने श्रीलंका को त्वरित वित्तपोषण साधन सुविधा के लिए भारत की ओर से पूरी सहायता भी दी।
दिवालिया होने की कगार पर श्रीलंका
वित्त मंत्री अली साबरी ने यह भी बताया कि 2019 के अंत तक श्रीलंका का विदेशी उपयोग योग्य भंडार 7 बिलियन डॉलर था। सरकार का कर राजस्व सकल घरेलू उत्पाद का 8.7 प्रतिशत हो गया है। साबरी ने कहा कि बजट 2022 अब यथार्थवादी नहीं है और सरकार को जल्द ही संसद में एक नया बजट प्रस्ताव पेश करने की उम्मीद है। उन्होंने यह सब तब कहा जब श्रीलंका एकदम दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुका है।
हालांकि वित्त मंत्री ने कहा कि फाइनेंस प्राप्त करने के लिए कई देशों के साथ चर्चा चल रही है। बता दें कि भारत ने संकट से घिरे श्रीलंका को इस साल जनवरी से अब तक तीन अरब डॉलर से अधिक का कर्ज, ऋण सहायता देने का वादा किया है। श्रीलंका के सरकार में शामिल कई नेता और विपक्ष के कई नेताओं ने भारत की इसके लिए सराहना भी की है।