नई दिल्ली। पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मोहित माथुर ने अदालत में कहा कि जहां तक उनके मुकदमे से भागने का सवाल है तो ऐसा कोई खतरा ही नहीं है। सिसोदिया ने कहा कि वह 14 महीने 15 दिन से हिरासत में हैं। उन्होंने कहा कि निचली अदालत के न्यायाधीश ने जमानत याचिका खारिज करते हुए यह नहीं दिखाया कि आप नेता ने देरी में कैसे की है। उनके मुवक्किल ने अपनी पत्नी से मिलने के लिए आवेदन दिया था। इसके बाद एक चेक पर हस्ताक्षर करने की अनुमति के लिए एक याचिका दायर की। इससे मुकदमे की सुनवाई में कहां देरी हुई। जांच एजेंसी बताए।
विशेष अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि 38 में से 13 आवेदन सिसोदिया द्वारा दायर किए गए थे, लेकिन अदालत ने यह नहीं बताया कि इससे मुख्य मामले की सुनवाई में देरी कैसे हुई। बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि सिसोदिया की पिछली जमानत याचिका खारिज होने के बाद तीन आरोपियों को उच्चतम न्यायालय से राहत मिली है। इनमें बिनॉय बाबू, संजय सिंह व अरविंद केजरीवाल शामिल हैं।
ईडी ने कहा- सौ दस्तावेज का निरीक्षण किया
ईडी ने कहा कि धनशोधन के अपराध को आतंकवाद व अन्य गंभीर अपराधों के समान ही गंभीर अपराध माना जाता है। साजिश यह देखने के लिए थी कि आप रिश्वत रूप में गलत लाभ कमाती है। इस प्रक्रिया में रिश्वत देने वाले व्यक्तियों को अतिरिक्त लाभ सुनिश्चित करती है। वर्तमान आरोपी सिसोदिया मंत्री समूह का हिस्सा था। वह पार्टी के सर्वोच्च निकाय के सदस्य थे और वह उपमुख्यमंत्री का पद भी संभाल रहे थे। उत्पाद शुल्क विभाग के प्रभारी मंत्री भी थे। ईडी ने तर्क दिया कि एजेंसी के पास डिजिटल सबूत हैं।
सिसोदिया के वकील बोले- कब तक जेल में रखेंगे
सिसोदिया के वकील ने जमानत की मांग करते हुए कहा कि ईडी और सीबीआई धनशोधन और भ्रष्टाचार मामले में लगातार लोगों को गिरफ्तार कर रही हैं। इस मामले के जल्द समाप्त होने के आसार नहीं है। पूरक आरोपपत्र दायर किए जा रहे हैं। इसे आधार बनाकर आरोपियों को जमानत देने से रोका जा रहा है। उन्होंने कहा कि सिसोदिया को जेल में सवा साल हो गया है। उनकी पत्नी की तबीयत भी ठीक नहीं है। उन्हें ऐसे कब तक जेल की सलाखों के पीछे रखा जाएगा।