नई दिल्ली:असम के सोनापुर में अवैध निर्माण पर बुलडोजर ऐक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। इसके अलावा वहां बसे लोगों को हटाने पर भी फिलहाल रोक लगाई है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने सोमवार को असम सरकार को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों 1 अक्टूबर तक बुलडोजर ऐक्शन पर रोक लगाई थी। इस बीच असम में ऐक्शन लिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि असम सरकार शीर्ष अदालत की अवमानना कर रही है। इसी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हिमंत बिस्वा सरमा को नोटिस जारी किया है।
उच्चतम न्यायालय में उन 48 लोगों की ओर से याचिका दाखिल की गई थी, जिन पर असम सरकार ने बुलडोजर ऐक्शन की शुरुआत की थी। इन लोगों पर आरोप है कि उन्होंने अवैध निर्माण कर रखा है। इन लोगों ने अपनी अर्जी में कहा कि जब शीर्ष अदालत की ओर से किसी के घर पर बुलडोजर ऐक्शन पर 1 अक्टूबर तक रोक लगाई है तो फिर यह कार्रवाई क्यों की गई है। ऐसा किया जाना तो अदालत की भी एक तरह से अवमानना है। इसी पर अब सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है और तब तक ऐक्शन पर रोक लगा दी है।
अदालत ने इससे पहले 17 सितंबर को दिए अपने आदेश में कहा था कि कोर्ट की परमिशन के बिना बुलडोजर ऐक्शन न किया जाए। हालांकि तब बेंच ने यह भी कहा था कि सड़कों, रेलवे लाइनों और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर अवैध निर्माण के खिलाफ ऐक्शन के लिए ऐसी परमिशन लेने की जरूरत नहीं है। सोनापुर गुवाहाटी के बाहरी इलाके में आता है और कामरूप जिले में है। इस इलाके के कई स्थानों पर जिला प्रशासन ने अवैध निर्माण को चिह्नित किया है। प्रशासन का कहना है कि यहां आदिवासी क्षेत्र की जमीन पर अतिक्रमण करके घर बनाए गए हैं।
वहीं इसके खिलाफ सोनापुर के इन लोगों की अर्जी दाखिल करते हुए वकील अदील अहमद ने कहा कि उनके घरों को पहले से कोई नोटिस नहीं दिया गया था। उन्हें अचानक ही अवैध निर्माण घोषित कर दिया गया और बुलडोजर भेज दिए गए। इन लोगों का कहना है कि हमारे पास इस इलाके की पावर ऑफ अटॉर्नी है। इसलिए हमारे पास निर्माण करने का अधिकार है।