बिहार : अधिवक्ता बरुण कुमार सिन्हा ने जनहित याचिका में बिहार सरकार के उप सचिव द्वारा राज्य में जातिगत जनगणना कराने के लिए जारी अधिसूचना को रद्द करने और अधिकारियों को इस पर आगे बढ़ने से रोकने की मांग की है।
बिहार की नीतीश कुमार सरकार की ओर से राज्य में कराई जाने वाली जातिगत जनगणना के खिलाफ दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने मामले में तत्काल सुनवाई के लिए भी हामी भर दी है। सर्वोच्च न्यायालय याचिका पर 13 जनवरी को सुनवाई करेगा।
अधिवक्ता बरुण कुमार सिन्हा ने जनहित याचिका में बिहार सरकार के उप सचिव द्वारा राज्य में जातिगत जनगणना कराने के लिए जारी अधिसूचना को रद्द करने और अधिकारियों को इस पर आगे बढ़ने से रोकने की मांग की है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि छह जून 2022 को जारी अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करती है, जिसमें विधि के समक्ष समानता और कानून के समान सरंक्षण का प्रावधान है। याचिकाकर्ता ने कहा कि अधिसूचना गैर कानूनी, मनमानी, अतार्किक और असंवैधानिक है।
नालंदा निवासी अखिलेश कुमार ने अपनी याचिका में कहा है कि अगर जाति आधारित सर्वेक्षण का घोषित उद्देश्य उत्पीड़न की शिकार जातियों को समायोजित करना है तो देश और जाति आधारित भेद करना तर्कहीन और अनुचित है। इनमें से कोई भी भेद कानून में प्रकट किए गए उद्देश्य के अनुरूप नहीं है।