नई दिल्ली: राजस्थान में कांग्रेस की सबसे बड़ी टेंशन खत्म हो गई है। सूबे के दो दिग्गज नेता जो चलते-फिरते एक-दूसरे पर ‘शब्द बाण’ चलाते थे, उनके बीच अब सबकुछ ठीक होता नजर आ रहा है। नवंबर-दिसंबर में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव से पहले सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट विवाद को सुलझाने के लिए कांग्रेस ने 6 जुलाई को दिल्ली में एक बैठक बुलाई थी। मीटिंग में राजस्थान के करीब 30 दिग्गज नेता शामिल हुए। इस मीटिंग के बाद से ही पायलट के सुर बदल गए हैं। मीटिंग से निकलते ही पायलट ने सीएम गहलोत की तारीफ की। अब एक इंटरव्यू में पायलट ने मीटिंग के अंदर हुई बात का जिक्र किया है। पायलट ने कांग्रेस के उस ‘महामंत्र’ के बारे में भी बताया जिसके बाद पायलट-गहलोत विवाद पर विराम लग गया है।
कांग्रेस का ‘महामंत्र’
पायलट ने बताया कि बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उनसे कहा है कि ‘भूलो, माफ करो और आगे बढ़ो’। इसके साथ ही पायलट ने कहा कि खरगे की ये बात उनके लिए सिर्फ एक सुझाव नहीं है, बल्कि एक निर्देश भी है। ऐसे में ‘भूलो, माफ करो और आगे बढ़ो’ ‘महामंत्र’ के बाद पायलट का दिल पिघल गया है। शनिवार को पायलट ने कहा, ‘अशोक गहलोत जी उम्र में मुझसे बड़े हैं। उनको ज्यादा अनुभव है। उनके कंधों पर बड़ी जिम्मेदारियां हैं।’ गहलोत के खिलाफ अनशन पर बैठने वाले पायलट, सरकार से नाराजगी के बाद यात्रा निकालने वाले पूर्व डिप्टी सीएम आखिर गहलोत को लेकर इतनी मीठी-मीठी बातें क्यों करने लगे? इसके पीछे इन तीन वजहों को जिम्मेदार माना जा रहा है।
नाराजगी गहलोत से… कांग्रेस से नहीं
कुछ ही महीनों बाद राज्य में चुनाव होने हैं। पायलट यह अक्सर कहते हैं कि उनकी नाराजगी सिर्फ अशोक गहलोत से है। वो खुद को कांग्रेस का सेवक कहते हैं। आगामी चुनाव में आपसी मनमुटाव के चक्कर में कांग्रेस का नुकसान न हो जाए यह डर पायलट और गहलोत दोनों को सता रहा था। पायलट ऐसा नहीं चाहते हैं, इसी वजह से वह अब अपने तेवर बदल कर चुनाव के प्रचार में जुटना चाहते हैं।
बगैर सीएम फेस चुनाव लड़ने का ऐलान
6 जुलाई को दिल्ली में हुई बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। पायलट-गहलोत विवाद सॉल्व करने के अलावा आगामी राजस्थान चुनाव की रणनीति पर भी बातचीत हुई थी। बैठक के बाद कांग्रेस ने यह ऐलान किया कि वह आगामी चुनाव बगैर सीएम फेस के लड़ेगी। ऐसा माना जा रहा है कि पायलट कांग्रेस के इस फैसले से काफी खुश हैं। पायलट और उनके समर्थक कई सालों से यह दावा कर रहे हैं कि पायलट को सीएम बनाया जाए। साथ ही वो गहलोत को सीएम पद से हटाने की भी मांग कर रहे हैं। ऐसे में किसी को भी सीएम फेस न बनाकर कांग्रेस ने पायलट और उनके समर्थकों को खुश कर दिया है।
पायलट को ऑफर?
गौरतलब है कि गहलोत और पायलट के बीच की खाई दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही थी। दोनों नेताओं का हाथ और दिल मिलाने की जिम्मेदारी आलाकमान ने मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ को दी थी। इसके लिए कमलनाथ ने पायलट से मुलाकात भी की थी। सूत्रों के हवाले से तब बताया गया था कि आलाकमान ने दिल्ली में पायलट को बड़ी जिम्मेदारी देने का ऑफर किया। हालांकि पायलट ने मना कर दिया था। पायलट अक्सर यह कहते हैं कि उनका दिल राजस्थान में बसता है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि 6 जुलाई वाली मीटिंग में आलाकमान ने पायलट को कई और नए ऑफर दिए हैं। ऐसा भी माना जा रहा है कि आगामी चुनाव में पायलट को बड़ी भूमिका मिल सकती है। साथ ही पायलट समर्थकों को टिकट बंटवारे के वक्त ज्यादा स्पेस मिलने की संभावना है। हालांकि अभी आधिकारिक तौर पर कुछ भी सामने नहीं आया है। लेकिन यह तय है कि चुनाव से पहले कांग्रेस ने अपनी सबसे बड़ी टेंशन दूर कर ली है। राजस्थान के उसके दो दिग्गज नेता अब एक-साथ चुनाव लड़ने और सरकार बनाने की तैयारी कर रहे हैं।