-समणीवृंद, किशोर, कन्या और ज्ञानार्थियों ने अपने आराध्य की अभिवंदना में दी अपनी प्रस्तुति
– कल सिटीलाईट तेरापंथ भवन में पधारेंगे तेरापंथ सरताज आचार्यश्री महाश्रमण
उधना, सूरत (गुजरात) : उधना प्रवास का तीसरा दिन। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें आचार्यश्री महाश्रमणजी जनकल्याण हेतु सोमवार को भी परिभ्रमण के लिए गतिमान हुए। आचार्यश्री के इस परिभ्रमण से उधना और आसपास के श्रद्धालुओं सहित अन्य जनता को भी ऐसे महापुरुष के सहज दर्शन यथावसर पाथेय और आशीर्वाद का लाभ प्राप्त हुआ। मार्ग में अनेक स्थानों पर अक्षम लोगों को भी आचार्यश्री ने दर्शन दिए तो उन्हें लगा कि मानों घर बैठे गंगा ने आकर उन्हें पावन बना दिया हो। श्रद्धालुओं पर कृपा व आशीष बरसाते हुए आचार्यश्री लगभग दो घंटे के परिभ्रमण के उपरान्त पुनः अपने प्रवास स्थल उधना तेरापंथ भवन में पधार गए।
कुछ समय बाद ही आचार्यश्री उधनावासियों को अपनी अमृतवाणी से लाभान्वित करने महाश्रमण समवसरण में पधार गए। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व साध्वीवर्याजी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को उद्बोधित किया। शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने समुपस्थित विशाल जनसमूह को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि मनुष्य के जीवन में सहिष्णुता का भी बहुत महत्त्व है। आदमी की समझशक्ति अच्छी हो तो साथ में सहनशीलता भी अच्छी हो तो मानना चाहिए कि जीवन को आसानी से आगे बढ़ाया जा सकता है। समझशक्ति होती है तो आदमी सामने वाले के भावों को समझ लेता है, फलस्वरूप व उसी के अनुरूप कार्य करता है। इस संदर्भ में आचार्यश्री ने महामना आचार्यश्री भिक्षु और गणाधिपति आचार्यश्री तुलसी की समझशक्ति का वर्णन करते हुए कहा कि आदमी को अपनी समझशक्ति का विकास करने का प्रयास करना चाहिए।
जीवन को शांतिपूर्ण ढंग से जीने के लिए आदमी में सहनशक्ति का भी विकास होना चाहिए। समझशक्ति और सहनशक्ति के विकास का प्रयास भी होना चाहिए। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों, कन्याओं, किशोरों व युवाओं में सहनशक्ति का विकास होना चाहिए। कोई दुर्जन उस मनुष्य का कुछ नहीं बिगाड़ सकता, जिस मनुष्य के पास में क्षमा रूपी खड्ग होती है। परिवार में भी कलह की स्थिति से बचने के लिए सहनशक्ति की परम आवश्यकता होती है। जीवन में समझशक्ति, सहनशक्ति और संयमशक्ति का अच्छा विकास हो तो जीवन अच्छा हो सकता है।
आचार्यश्री ने उधना प्रवास के संदर्भ में कहा कि उधना में इस बार के प्रवास का अंतिम दिन है। उधना की जनता में आध्यात्मिक चेतना का विकास होता रहे। मुनि श्री उदितकुमारजी स्वामी के चतुर्मास का अच्छा लाभ प्राप्त हो।
आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त आज भी आचार्यश्री की अभ्यर्थना में अनेकानेक प्रस्तुतियां हुईं। इस क्रम में समणी ज्योतिप्रज्ञाजी, समणी स्वर्णप्रज्ञाजी, समणी प्रणवप्रज्ञाजी व समणी मानसप्रज्ञाजी ने अपने-अपने ढंग से आचार्यश्री की अभ्यर्थना की। तेरापंथी सभा उधना के मंत्री श्री सुरेश चपलोत व बालक धैर्य बाफना ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। उधना ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने ज्ञानशाला एक्सप्रेस के रूप में अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी तो तेरापंथ किशोर मण्डल-उधना ने आचार्य भिक्षु ने बुलाई सभा और तेरापंथ कन्या मण्डल ने 14 गुणस्थानों पर आधारित अपनी प्रस्तुति के माध्यम से श्रीचरणों की अभ्यर्थना की। उधना श्रावक समाज ने गीत का संगान किया। कल आचार्यश्री महाश्रमणजी उधना से विहार कर सिटीलाईट स्थित तेरापंथ भवन में पधारेंगे।