कोलकाता:2020 के बाद से पश्चिम बंगाल के चार बड़े राजनेताओं की हत्याएं हुई हैं। यह एक खतरनाक ट्रेंड बनता जा रहा है। पुलिस मानती है कि इन हत्याओं के पीछे की सीधे तौर पर राजनीति मंशा से नहीं थी। आपको बता दें कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से एक, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दो और कांग्रेस के एक राजनेता की हत्या ने सुर्खियां बटोरी। इन्हें मारने के लिए कुछ भाड़े के क्रिमिनल बुलाए गए थे।
4 अक्टूबर, 2020 को उत्तर 24 परगना जिले के टीटागढ़ नगरपालिका के एक पार्षद और स्थानीय बैरकपुर अदालत में एक वकील भाजपा के मनीष शुक्ला को बीटी रोड पर भीड़भाड़ वाले इलाके में मोटरसाइकिल सवार शूटरों ने गोली मार दी थी। रात के करीब 8.27 बज रहे थे और घटनास्थल टीटागढ़ थाने से ज्यादा दूर नहीं था। घटना के बाद बंगाल पुलिस ने कहा था, “पुलिस अपराध की जांच कर रही है और व्यक्तिगत दुश्मनी सहित सभी संभावित कारणों की जांच कर रही है।”
पुलिस रिकॉर्ड से पता चलता है कि 2009 के बाद से मनीष शुक्ला की हत्या के कई प्रयास किए गए। वह पहले सीपीआई (एम) के युवा मोर्चे में थे। बाद में टीएमसी में शामिल हो गए थे। 2009, 2011, 2013 और 2018 में उनपर हमला हुआ था। उन्होंने 2019 में भाजपा का दामन थाम लिया था। जांचके दौरान सीआईडी अधिकारियों ने यह पता लगाया कि शूटरों ने 78 सेकंड में अपना ऑपरेशन पूरा कर लिया था। उन्होंने 18 राउंड फायर किए। सात से अधिक गोलियां शुक्ला को लगे। सीआईडी ने लुधियाना से सुजीत कुमार राय और रोशन यादव नाम के दो कॉन्ट्रैक्ट किलर को गिरफ्तार किया था। जांच में पता चला कि उन्हें बिहार के गैंगस्टर सुबोध सिंह ने तैनात किया था, जो हत्या के दौरान बेउर जेल में बंद था।
उत्तर 24 परगना के पनिहाटी में टीएमसी पार्षद अनुपम दत्ता और पुरुलिया जिले के झालदा शहर में कांग्रेस पार्षद तपन कंडू की 13 मार्च, 2022 को नगरपालिका चुनाव जीतने के कुछ दिनों बाद गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बंगाल में एक ही दिन दो निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की हत्या कर दी गई थी। अमित पंडित ने कथित तौर पर दत्ता को बिहार के मुंगेर से खरीदी गई पिस्तौल से गोली मार दी थी। हत्या के एक दिन बाद स्थानीय लोगों ने पकड़ लिया था। वहीं, पुरुलिया में पुलिस ने पार्षद के भतीजे दीपक कंडू को गिरफ्तार किया। उन्होंने अपने चाचा के खिलाफ टीएमसी के टिकट पर निकाय चुनाव लड़ा था और हार गया था। दीपक के पिता नरेन को भी गिरफ्तार किया गया था।
झालदा के एक व्यवसायी आसिफ खान को गिरफ्तार किया गया है। उसके बयान के आधार पर झारखंड से एक कथित अपराधी कालेबर सिंह को गिरफ्तार किया गया। तपन कंडू की विधवा द्वारा दायर एक याचिका पर कार्रवाई करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने मार्च 2022 में सीबीआई जांच का आदेश दिया। अप्रैल 2022 में सीबीआई ने झालदा के एक ढाबा मालिक सत्यभान प्रमाणिक को गिरफ्तार किया। सीबीआई अधिकारियों ने कहा कि वे पारिवारिक कलह से इनकार नहीं कर रहे हैं, बल्कि उन सुरागों का भी पता लगा रहे हैं, जिनसे पता चलता है कि प्रमाणिक का पूर्व में तपन कंडू के साथ कुछ व्यापारिक विवाद था। सीबीआई ने सितंबर में कथित शार्पशूटर जाबिर अंसारी को झारखंड से गिरफ्तार किया था।
1 अप्रैल को पश्चिम बर्दवान जिले में अवैध कोयला खनन कार्यों के लिए पुलिस जांच का सामना कर रहे एक व्यापारी राजेश झा की पूर्वी बर्दवान जिले में NH-2 पर एक होटल के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। राजेझ झा औपचारिक रूप से पिछले विधानसभा चुनाव से महीनों पहले 2020 में वाम मोर्चा से भाजपा में शामिल हो गए थे। उन्होंने दुर्गापुर में होटल, गेस्ट हाउस और एक शॉपिंग मॉल बनावाया। वह एक एसयूवी की अगली सीट पर मृत पाए गए। चश्मदीदों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने छह से आठ गोलियों की आवाज सुनी और कुछ लोगों को नीली हैचबैक कार में जाते हुए देखा। 12 अप्रैल तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई और लतीफ लापता रहा।
पुलिस के पुराने रिकॉर्ड के अनुसार, आम चुनाव से ठीक पहले फरवरी 1971 में कोलकाता में एकमात्र हत्या हुई थी। ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के राष्ट्रीय सचिव हेमंत बसु की उत्तरी कोलकाता में एक सड़क पर हत्या कर दी गई थी। माकपा और कांग्रेस ने एक दूरसे पर आरोप लगाए। हत्यारा कभी पकड़ा नहीं गया था। कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त गौतम चक्रवर्ती वर्तमान प्रवृत्ति को परेशान करने वाला और खतरनाक मानते हैं।