दक्षिण बंगाल की खाड़ी के मध्य भागों और पूर्वी भूमध्यरेखीय हिंद महासागर पर एक दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। अगले 24 घंटों के दौरान इसके उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने और एक गहरे दबाव में तब्दील होने की संभावना है। इसकी वजह से 26, 27 और 28 नवंबर को तटीय तमिलनाडु, पुडुचेरी में अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है। इसके अलावा, 26 से 29 नवंबर, 2024 तक दक्षिण तटीय आंध्र प्रदेश में भी अलग-अलग स्थानों पर भारी वर्षा होने की संभावना है। वहीं, आने वाले दिनों में कुछ इलाकों में 75 किलोमीटर की गति से हवाएं भी चलने वाली हैं।
मौसम विभाग ने बताया है कि 25 नवंबर को दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी, उससे सटे दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी और श्रीलंका के तट पर 40-50 किमी प्रति घंटे की गति से बढ़कर 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने की संभावना है। तमिलनाडु-पुडुचेरी के तटों पर 35-45 किमी प्रति घंटे की गति से बढ़कर 55 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने की संभावना है। वहीं, 26 नवंबर को दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी और उससे सटे पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी और तमिलनाडु-पुडुचेरी और दक्षिण आंध्र प्रदेश के तटों पर 50-60 किमी प्रति घंटे की गति से बढ़कर 70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने की संभावना है। इसके अलावा, 27 से 29 नवंबर के दौरान इसी क्षेत्र में 55-65 किमी प्रति घंटे की गति से 75 किमी प्रति घंटे की रफ्तार तक हवा चल सकती है।
मौसम विभाग ने मछुआरों को सलाह दी है कि वे समुद्र में न जाएं। मौसम विभाग ने बताया, समुद्र में मौजूद मछुआरों को आज यानी 25 नवंबर, 2024 को तटों पर लौटने की सलाह दी जाती है। मछुआरों को सलाह दी जाती है कि वे 25 नवंबर, 2024 को दक्षिण-पूर्वी बंगाल की खाड़ी और पूर्वी भूमध्यरेखीय हिंद महासागर में न जाएं। दक्षिण-पश्चिमी बंगाल की खाड़ी और 29 नवंबर, 2024 तक श्रीलंका तट पर भी न जाएं। इसके अलावा, मछुआरे 26-29 नवंबर 2024 के दौरान पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी और 29 नवंबर तक तमिलनाडु-पुडुचेरी तटों और 26 से 29 नवंबर 2024 के दौरान दक्षिण आंध्र प्रदेश तट पर न जाएं।
क्या-क्या पड़ेगा असर?
मौसम विभाग ने बताया है कि तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों, पुडुचेरी और दक्षिण आंध्र प्रदेश पर इसका काफी असर देखने को मिलेगा। सड़कों, निचलों इलाकों में जलभराव हो सकता है। भारी बारिश के कारण कहीं-कहीं विजिबिलिटी में कमी आ सकती है। सड़कों पर जलभराव के कारण प्रमुख शहरों में यातायात बाधित हो सकता है। कच्ची सड़कों को मामूली नुकसान हो सकता है। वहीं, जलभराव के कारण कुछ क्षेत्रों में बागवानी और खड़ी फसलों को नुकसान पहुंच सकता है।