भोपाल:मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य की शराबनीति में बदलाव के संकेत दे दिये हैं। बता दें कि राज्य में हाल ही में नगर निकाय और पंचायत चुनाव संपन्न हुए हैं। चुनाव परिणामों के बाद शराबनीति को लेकर शिवराज सरकार का यह कदम चर्चा में बना हुआ है। खुद सीएम ने ट्वीट कर शराब नीति में बदलाव के संकेत दिये हैं। सीएम ने नशा को नाश का जड़ भी बताया है।
सीएम ने एक ट्वीट में कहा कहा, ‘नशा नाश की जड़ है। शराब हो या अन्य नशा, बर्बाद कर देता है। नशे के खिलाफ सरकार ही नहीं, समाज भी साथ आकर अभियान चलाए। हमारा सदैव प्रयास रहेगा कि जागरूकता से मध्यप्रदेश को नशामुक्त बनाएं। नशामुक्ति अभियान में राज्य और जिला श्रेणी में पुरस्कार के लिए प्रदेश का चयन होने पर बधाई।’
हाल ही में केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा हुई ग्रेडिंग में एनएमबीए (नशा मुक्त भारत अभियान) राज्य श्रेणी पुरस्कार में मध्यप्रदेश का चयन किया गया है। सीएम ने कहा कि इसके तहत जिला श्रेणी पुरस्कार में दतिया का श्रेष्ठ प्रदर्शन महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस क्षेत्र में जनजागृति के प्रयास बढ़ाए जाएंगे।
एक अन्य ट्वीट में सीएम ने कहा, ‘भारत सरकार की अपेक्षा के अनुसार समाज के विभिन्न वर्गों, समाजसेवियों आदि से चर्चा कर युक्तिसंगत नीति लागू की जाएगी। @umasribharti जी सामाजिक परिवर्तन के लिए प्रयास करती रहती हैं, उनसे भी बातचीत कर प्राप्त सुझावों के अनुरूप आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।’
शराब को कानून-व्यवस्था से जोड़ा
उमा भारती शराब के खिलाफ अपने आंदोलन में नशे को कानून-व्यवस्था से जोड़ती रही हैं। उमा भारती मांग उठाती रही हैं कि अहातों में शराब परोसने की व्यवस्था को तुरंत बंद किया जाए। इसके अलावा स्कूल, अस्पताल, मंदिर और अन्य निषिद्ध स्थानों के पास शराब की दुकानें भी बंद की जाएं। उमा भारती यह भी कह चुकी हैं कि घर-घर शराब पहुंचाने की घिनौनी व्यवस्था तुरंत रुकनी चाहिए।
नगर निकाय चुनाव में मिली हार का असर?
कई राजनीतिक विशलेषकों का यह भी मानना है कि शराब नीति में बदलाव को लेकर शिवराज सकार का यह संकेत नगर निकाय चुनाव में भाजपा की हार का असर भी हो सकता है। नगर निकाय चुनाव को सत्ता का सेमीफाइनल भी कहा जा रहा था। चुनाव परिणामों में भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ है। 17 और 20 जुलाई को मध्यप्रदेश नगर निगम चुनावों के नतीजे आए थे।
भाजपा के 16 में से सिर्फ नौ महापौर ही जीत सके। उसे सात नगर निगमों की महापौर कुर्सी गंवानी पड़ी। कांग्रेस ने जबरदस्त वापसी की और पहली बार पांच महापौर पद हासिल किए। एक पद आम आदमी पार्टी और एक निर्दलीय प्रत्याशी ने जीता था। बता दें कि यह सभी सीट कभी भाजपा के हाथ में ही थे।