नई दिल्ली। दूसरों को न्याय दिलाने के लिए अदालतों में लड़ने वाला एक वकील खुद अपने लिए लड़ रहा है। उन्होंने पत्र के माध्यम से सीएम व प्रशाशन से निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने मीडिया को जारी अपने पत्र में लिखा है की आज तक 10/03/2024 के बाद एक पीड़ित व्यक्ति की न शिकायत सुनी जा रही है और न ही कोई कार्यवाही हो रही है।
विजय कुमार गुप्ता पुत्र श्री महेंद्र पाल गुप्ता निवासी शालीमार गार्डन ग़ाज़ियाबाद उक्त दिनाँक से पुलिस प्रशासन एवं
मुख्यमंत्री महोदय सबसे हाथ जोड़कर विनती कर ली, लेकिंग बार बार निष्पक्ष जांच की मांग (सारे दस्तावेज प्रस्तुत करने
के बाद) के आग्रह को ठुकरा दिया गया। अगर पीड़ित व्यक्ति दोषी होता तो ज्ञात होगा कि हमेशा निष्पक्ष जांच की मांग
करते हुए श्री विजय कुमार गुप्ता ने आवेदन पर आवेदन करते रहे। अगर श्री गुप्ता दोषी होते तो जैसा कि रिपोर्ट में कहा
गया कि उनकी पत्रि श्रीमती मीता के साथ ये दुश्मनी निकलना चाह रहे है और उनके पक्ष को फँसाने को कोशिश कर रहे
है। अगर श्री गुप्ता चाहते तो उनके खिलाफ अधिवक्ता होने के वजह से, एफ० आई० आर० दर्ज की जा सकती थी लेकिंग
सबसे बड़ा मामला प्रकाश में ये आया है कि वो इतना व्यथीत होते हुए भी अभी भी निष्पक्ष जांच को प्रार्थना कर रहे है।
क्या ऐसे व्यक्ति को इस कलयुग के समाज में स्वीकार किया जा सकता है ? नहीं स्वयं वो पीड़ित है और प्रशासन की द्वार
पे न्याय की मांग कर रहे है। यकीन मानिये ऐसे सभ्य लोग इस समाज के सबसे बड़े दुश्मन है क्योंकि प्रकृति के नियम को
कलसयुग में बदल दिया गया है हमेशा सभ्य एवं शरीफ लोगों को फसाया जाता है। विवेचना श्रीमान निर्देश कुमार जी (उप
निरीक्षक) ने अपने जांच में माननीय हिन्दुस्तान के सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगीजी के पोर्टल में ये वर्णित किया है
कि श्री गुप्ता ने न्यायालय के निर्देशित आदेश के अनुसार अपनी पत्रि को भत्ता राशि आज तक नहीं दिया माननीय न्यायालय
के आदेश का पालन करते हुए आज तक न्यायालय द्वारा आदेशित पैसो का भुगतान किया है।
क्या ऐसे हम भारत को विकसित देश बना सकते हैं जहाँ एक पत्नि अपने मन के अनुसार साथी न मिलने पर उसको
आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर सकती है में श्री गुप्ता के हौसले को सलाम करता हूँ जो स्वयं 2011 के बाद इतना
अपमानित होने के बावजूद आज अपने आप को सुव्यवस्थित करने को कोशिश कर रहे है। किन्तु विपक्षीय को ये बात भी
रास नहीं आयी 10/03/2024 की घटना के बाद श्री गुप्ता अपने मानसिक संतुलन भी व्यवस्थित नहीं कर पा रहे है। क्या
हम चाहेंगे श्री गुप्ता जैसे समाज विद्रोही और समाज को गलत करने वाला व्यक्ति जो निष्पक्ष जांच को मांग कर रहा है क्या
उसको जीवित रहने का कोई अधिकार है ? अगर समय रहते ऐसे व्यक्ति की मदद नहीं की गयी तो हम ऐसे व्यक्ति को
बहुत जल्द खो देंगे न्याय आप लोगो के हाथ में है। अगर आम इंसान भी होता तो इतनी बेइज़्ज़्त्ती के बाद अपना जीवन
समाप्त कर लेता अब ये आप लोगो के ऊपर निर्भर करता है कि आधुनिक जीवन में जितना पति पत्रि के बीच आज तनाव
रहता है और हर समय रिश्ते टूट जाते है। श्री गुप्ता ने अपना व्यवारिक जीवन बचाने के लिए कोशिश करते रहे है लेकिंग
मिला क्या धमकी, शोषण, प्रताड़ना, जान से मारने की धमकी और मानसिक अंसवेदना श्रीमती मीता ने अपना जीवन एक
शिक्षिका के तौर पर उत्तर प्रदेश सरकार में अपनी नयी जीवन की जहां शुरूवात कर ली वहीं जिसकी प्रताड़ना की वजह
से श्री गुप्ता दिन प्रतिदिन नीचे गिरते चले गए क्या ये सच्चाई में इन्साफ है। फैसला आप लोग करें कि ऐसे व्यक्ति को इस
आधुनिक समाज में जीने का कोई अधिकार नहीं है।
सारांश :- प्रशासन एवं माननीय मुख्यमंत्री जी से आखरी बार मीडिया के द्वारा श्री विजय कुमार गुप्ता ने इन्साफ के गुहार
लगाई है फैसला आप जनता जनार्दन के हाथें में है।
इतना अपमानित होने के बावजूद भी श्री विजय कुमार गुप्ता जिनके पुत्र है उनको भारत सरकार के द्वारा सर्वश्रेष्ठ शिक्षक
के रूप में भारत के राष्ट्रपति ने पुरस्कृत किया था श्रीमती मीता ने न सिर्फ श्री महेंद्र पाल गुप्ता को कई बार बेइज़्जत एवं
अपमानित किया एवं उनकी पत्नी को भी प्रताड़ित किया क्या कोई शिक्षक जो समाज सुधार में अपनी सारी जिंदगी खफा
देता है वो अपने बेटे को ऐसे संस्कार देगा जैसा कि श्रीमती मीता ने लगाया है श्री महेंद्र पाल गुप्ता अपनी उम्र के 82 साल
के जीवन में अपमानित होते हुए भी अपने बेटे के रक्षार्थ खड़े है। या तो वो राष्ट्रपति पुरस्कार गलत है या उनकी शिक्षा। एक
शिक्षक अपनी पूरी जिंदगी खफा देता है टूसरे के बच्चो का भविष्य बनाने के लिए क्या अपने बच्चो का अच्छा शिक्षा नहीं
दिया होगा ?