राजस्थान में अंतिम चरण का विधानसभा चुनाव हिंदुत्व बनाम गहलोत की गारंटियों पर केंद्रित हो गया है।पीएम हर सभा में कन्हैयालाल मर्डर के बहाने हिंदुत्व कार्ड खेल रहे हैं। गहलोत गारंटियों की बात कह रहे है। सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी के पास ठोस मुद्दा का अभाव है। इसलिए पीएम मोदी बार-बार लाल डायरी औऱ कन्हैयलाल मर्डर उठा रहे हैं। कांग्रेस गहलोत की योजनाओं के दम पर वापसी का दावा कर रही है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार सीधी लड़ाई गहलोत बनाम मोदी की चल रही है। ‘मोदी साधे राजस्थान’ इसी तरह के स्लोगन दिखाई देते हैं। वहीं, गहलोत जानते हैं कि भाजपा यहां पेपर लीक का राग अलाप कर नुकसान पहुंचाने की तैयारी में है। इसके तोड़ के लिए उन्होंने युवाओं को ध्यान में रखते हुए सात गारंटी की बात छेड़ी। चिरंजीवी योजना, ऑफिस योजना, आपदा योजना इस तरह की सात गारंटी गहलोत जी ने दी हैं। साफ है कि गहलोत यहां अपनी योजनाओं के दम पर लड़ रहे हैं। बाकी भाजपा तो अपना हिंदुत्व कार्ड लेकर ही चल रही है।
पीएम मोदी की सिर्फ एक लाइन
सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी के रणनीतिकारों ने पीएम मोदी की सभाएं भी वहीं ज्यादा करवाई है जहां पर हिंदुत्व कार्ड आसानी से चल सके। पीएम मोदी अपनी हर सभा में सनातन धर्म, संस्कृति, हिंदु त्योहारों और कन्हैयालाल मर्डर जैसे बातों का उल्लेख कर रहे हैं। मतलब साफ है पीएम मोदी ने अपनी लाइन सिर्फ हिंदुत्व की योजना रखी है। जबकि कांग्रेस में इस बार सिर्फ एक ही नाम है-अशोक गहलोत। गहलोत इस बार वो रेगुलर करेक्टर से बिलकुल अलग हैं। इस बार कैंपेन में सिर्फ वही दिखाई दिए हैं। उन्होंने अपने हिसाब से सीटें भी तय की हैं।
हिंदुत्व की काट में ओबीसी कार्ड
मोदी बनाम गहलोत की लड़ाई में तीसरा किरदार राहुल गांधी का है। राहुल गांधी इस बार राजस्थान के चुनाव प्रचार से दूर रहे हैं। राहुल गांधी ने सीएम गहलोत को खुलकर बैटिंग करने का मौका दिया है। सियासी जानकारों का कहना है कि राहुल गांधी ने राजस्थान में टफ फाइट होने की बात कहकर गेंद गहलोत के पाले में डाल चुके हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राहुल गांधी अपने हर भाषण में ओबीसी का जिक्र कर रहे हैं। ओबीसी के बहाने जातिय समीकरण साधना चाहते है। राहुल गांधी जानते है कि हिंदुत्व की काट के लिए जातिगत समीकरण ही चुनाव में सबसे ज्यादा प्रभावी होने वाला है। इसलिए बार-बार ओबीसी मुद्दा उठा रहे हैं। आरोप है कि मोदी सरकार ने पेपर लीक को लेकर ईडी की कार्रवाई कराई है। कहीं न कहीं कांग्रेस भी जानती है कि इसको लेकर वो बैकफुट पर है।
क्या मोदी को नहीं मिल रहा तोड़ ?
सियासी जानकारों का कहना है कि सीएम गहलोत की गारंटियों का तोड़ बीजेपी और मोदी के पास नहीं है। इसलिए घुमा फिराकर हिंदुत्व कार्ड खेल दिया है। बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में एक भी मुस्लिम को वोट नहीं दिया है। जबकि कांग्रे ने 15 मुस्लिमों को उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी का एजेंडा साफ है। सीएम गहलोत बार-बार ओपीएस पर जोर दे रहे हैं। ओपीएस बहाली के बाद कानून लाने की बात कह रहे है। इस मुद्दे पर बीजेपी बैकफुट पर है। यही वजह है कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को कहना पड़ा कि बीजेपी सरकार कर्मचारियों की हितैषी है। सीएम गहलोत ने सत्ता में आने पर 7 गारंटियों का वादा किया है।
ये है गहलोत की 7 गारंटियां
गोधन योजना के तहत किसानों से 2 रुपए प्रति किलो गोबर खरीद की गारंटी। कॉलेज में एडमिशन लेने वाले हर स्टूडेंट को पहले वर्ष फ्री लैपटॉप की गारंटी। प्रदेश के हर छात्र को अंग्रेजी मीडियम से शिक्षा की गारंटी। प्राकृतिक आपदा के शिकार होने वाले हर परिवार के 15 लाख रुपए बीमा की गारंटी। प्रदेश के 1.05 करोड़ परिवारों को 500 रुपए में घरेलू गैस सिलेंडर की गारंटी। गृहलक्ष्मी गारंटी योजना के तहत हर परिवार की महिला मुखिया को सालाना 10 हजार रुपए की गारंटी। सरकारी कर्मचारियों के लिए ओपीएस का कानून बनाने की गारंटी।