सोमवार का दिन देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस दिन महादेव की विशेष पूजा उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि भक्ति भाव से देवों के देव महादेव की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही सुख, समृद्धि, यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है। इसके लिए साधक सोमवार समेत अन्य दिनों में भी विधि पूर्वक महादेव की पूजा करते हैं। हालांकि, बहुत कम लोगों को शिवलिंग पर जल चढ़ाने के सही नियम पता है। आइए, शिवलिंग पर जल चढ़ाने के नियम जानते हैं-
-सनातन शास्त्रों की मानें तो शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय मुख हमेशा दक्षिण दिशा में रहना चाहिए। आसान शब्दों में कहें तो दक्षिण दिशा में खड़े होकर शिवलिंग पर जल का अर्घ्य देना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिशा में मुख कर जल का अर्घ्य देने से शिवजी प्रसन्न होते हैं। साथ ही साधक की पूजा को स्वीकार करते हैं। इससे साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
-ज्योतिषियों की मानें तो दक्षिण दिशा में मुख कर शिवलिंग को जल का अर्घ्य देते समय एक चीज का ध्यान रखें कि जल उत्तर दिशा से गिरे। कहते हैं कि इससे देवों के देव महादेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
-धार्मिक मान्यता है कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद परिक्रमा न करें। ऐसा करने से पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है। परिक्रमा करने के लिए शिवलिंग पर अर्पित जल को लांघना पड़ता है। शास्त्र में ऐसा करने की मनाही है। इसके लिए जल चढ़ाने के बाद परिक्रमा बिल्कुल न करें।
-सनातन शस्त्रों की मानें तो शिवलिंग पर जल का अर्घ्य देते समय मुख उत्तर, पश्चिम या पूर्व दिशा में न रखें। इन दिशाओं में भगवान शिव के अंग पीठ और कंधा हैं। ऐसा करने से पूजा का फल नहीं मिलता है।
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