राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के कांग्रेस छोड़ने की अटकलें 2020 से ही लगाई जा रही हैं, लेकिन पायलट कांग्रेस नहीं छोड़ रहे हैं। पायलट ने 2020 में गहलोत के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंककर सरकार को मुश्किल में डाल दिया था। उसके बाद से ही उनके कांग्रेस छोड़ने की अटकलें लगातार जारी है। राजनीतिक विश्लेषकों मानना है कि सचिन पायलट कांग्रेस छोड़कर अपने समर्थक विधायकों को संकट में नहीं डालना चाहते हैं। सचिन पायलट यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि राजस्थान में थर्ड फ्रंट कभी सफल नहीं हुआ है, इससिलए पायलट कभी नहीं चाहेंगे कि उनके समर्थक उनसे दूर हों।
सियासी जानकारों का कहना है कि सचिन पायलट कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बनाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। पायलट चाहते हैं कि विधानसभा चुनाव में उनके सभी समर्थक विधायकों को टिकट मिले। पायलट के करीब 20 समर्थक विधायक हैं, जबकि नंबर-2 पर रहने वाले प्रत्याशियों के लिए भी पायलट लामबंदी कर रहे हैं।
थर्ड फ्रंट का प्रयोग फेल
जानकारों का कहना है कि सचिन पायलट के सामने इतिहास है। राजस्थान की राजनीति में थर्ड फ्रंट का प्रयोग कभी सफल नहीं हुआ है। सचिन पायलट और उनके समर्थक यह बात अच्छी तरह से जानते हैं। यही वजह है कि सचिन पायलट ने जब 2020 में बगावत की थी तो अलग पार्टी बनाने की घोषणा नहीं की। सचिन पायलट ने सुलह करना ही बेहतर समझा। सचिन पायलट साढ़े चार से गहलोत सरकार पर दबाव में बनाकर अपनी मांगें पूरी करवाने में सफल रहे हैं। सरकार और संगठन की नियुक्तियों में पायलट समर्थकों को खासी तवज्जो मिली है। सचिन पायलट के एक समर्थक विधायक का कहना है कि सीएम गहलोत चाहते हैं कि सचिन पायलट पार्टी छोड़ दें, लेकिन पायलट ऐसा नहीं करेंगे। 2013 में बीजेपी से अलग होकर डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने क्षेत्रीय पार्टी एनपीपी का गठन किया था, लेकिन वे मात्र 4.62 प्रतिशत वोट हासिल करके सिर्फ 4 विधायक जिता पाए। इनमें भी वे खुद और उनकी पत्नी शामिल थे। 2018 में बीजेपी के एक अन्य कद्दावर नेता घनश्याम तिवाड़ी ने अपनी क्षेत्रीय पार्टी का गठन किया था, लेकिन वे खुद अपनी जमानत नहीं बचा पाए। बीजेपी के विधायक रहे हनुमान बेनीवाल ने 2018 में आरएलपी के नाम से नई पार्टी बनाई, लेकिन वे सिर्फ तीन विधायक जिता पाए। राजस्थान में टू-पार्टी सिस्टम ही बना हुआ है।
राजेश पायलट की पुण्य तिथि पर दौसा में कल बड़ा आयोजन
सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट की कल 11 जून को पुण्यतिथि है। इसी दिन पायलट के कांग्रेस छोड़ने की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल ने अटकलों पर विराम लगा दिया। वेणुगोपाल ने इन्हें सिर्फ अफवाह बताया है, जबकि पायलट समर्थक मंत्री मुरारी लाल मीणा ने कहा कि 2020 से अलग पार्टी बनाने की बात सुनता आ रहा हूं। हम कांग्रेस के सिपाही हैं और कांग्रेस में ही रहेंगे। सचिन पायलट अलग पार्टी नहीं बनाएंगे। हालांकि, खुद सचिन पायलट ने नई पार्टी बनाने या नहीं बनाने पर कोई बयान नहीं दिया है। सियासी जानकारों का मानना है कि सचिन पायलट अपने समर्थकों के लिए कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बनाने की रणनीति बनाते रहेंगे।