इस वर्ष गुप्त नवरात्र 30 जून से शुरू होकर 8 जुलाई को नवमी एवं 9 जुलाई को नवमी तिथि को समाप्त होंगा। चैत्र और शारदीय नवरात्र की तरह ही गुप्त नवरात्रि में भी मां दुर्गा के अलग अलग स्वरूपों की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में शुक्र अपने स्वराशि वृष में रहेंगे। शनिदेव अपनी राशि कुम्भ में रहेंगे। देव गुरु बृहस्पति अपनी राशि मीन में रहेंगे। मंगल अपनी राशि मेष में रहेंगे। साथ ही साथ नवरात्र के दो दिन बाद अर्थात 2 जुलाई से बुध भी अपनी राशि मिथुन में हो जाएंगे ।
इस प्रकार गुप्त नवरात्र के दौरान मन का कारक ग्रह चंद्र, भूमि भवन वाहन का कारक ग्रह मंगल, बौद्धिकता के कारक ग्रह बुध , अध्यात्म, धर्म कर्म के कारक ग्रह गुरु, कला सौंदर्य, प्रेम ,आकर्षण, का कारक ग्रह शुक्र एवं न्यायाधीश की पदवी प्राप्त कर्म फल प्रदायक ग्रह शनि का अपनी अपनी राशि में गोचर करना बहुत ही सुंदर संयोग का निर्माण हो रहा है एक नवरात्र में एक साथ 6 ग्रहों का स्वराशि में रहना इस नवरात्र के महात्म्य में वृद्धि करने वाले होंगे।
उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली ने बताया कि हिंदू धर्म में आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व है। इस में देवी के विभिन्न रूपो की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत के करने से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। साथ ही समस्याएं भी दूर होती हैं। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपद से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि शुरू हो रहे हैं।
हिंदू धर्म में कुल 4 नवरात्रि होती है। माघ और आषाढ़ में पड़ने वाली नवरात्रि गुप्त नवरात्रि कहलाती है। चैत्र और शारदीय नवरात्र की तरह ही गुप्त नवरात्रि में भी मां दुर्गा के अलग अलग स्वरूपों की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। गुप्त नवरात्र में मां कालिके, मां तारा देवी, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां चित्रमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूम्रवती, माता बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला देवी की पूजा उपासना की जाती है। इस नवरात्रि में तांत्रिक और सात्विक दोनों प्रकार की पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के साथ तांत्रिक 10 महाविद्याओं को प्रसन्न करने के लिए पूजा की जाती है।
वैसे तो आषाढ़ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि का आरंभ है 29 जून 2022 दिन बुधवार को सुबह 6:54 से आरंभ हो गया परंतु उदय कालिक तिथि के महत्व के कारण गुप्त नवरात्र का आरंभ 30 जून 2022 दिन गुरुवार को माना जाएगा प्रतिपदा तिथि गुरुवार को दिन में 8:54 तक व्याप्त रहेगा इस कारण से घटस्थापना सुबह 8:54 से पूर्व कर लिया जाना श्रेष्ठ फल प्रदायक होगा उत्थान ज्योति संस्थान के निदेशक पंडित दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली ने बताया कि इस वर्ष मां भगवती की कृपा प्राप्ति के लिये बहुत ही सुंदर ग्रहीय संजोग प्राप्त हो रहा है।