आज ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा शुरू हो गई है। तीनों रथ गुंडिचा मंदिर के लिए रवाना हो गए हैं। सबसे आगे भगवान बलभद्र का रथ है, बीच में बहन सुभद्रा और इसके बाद भगवान जगन्नाथ का रथ है। तीनों रथ सूरज डूबने से पहले तकरीबन तीन किलोमीटर दूर मौजूद गुंडिचा मंदिर पहुंच जाएंगे। जो कि भगवान की मौसी का घर है। यहां भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहन के साथ सात दिन तक रुकेंगे। फिर इन्हीं रथों में मुख्य मंदिर लौटेंगे।
सोने का झाडू लगाने के बाद शुरू हुई रथयात्रा
रथयात्रा की रस्में सुबह मंगला आरती और पूजा के साथ शुरू हुई। फिर भगवान को भोग लगाया गया। सुबह 7 बजे भगवान जगन्नाथ बड़े भाई और बहन के साथ मंदिर से बाहर आए। इसके बाद रथ प्रतिष्ठा और अन्य रस्में हुईं। पुरी के राजा दिव्य सिंह देव ने छोरा पोहरा की परंपरा पूरी करते हुए सोने के झाड़ू से रथों को बुहारा। इसके बाद रथयात्रा शुरू हुई।
सबसे आगे बलभद्र, आखिरी में भगवान जगन्नाथ का रथ
रथयात्रा में सबसे आगे भगवान बलभद्र का रथ, बीच में बहन सुभद्रा और आखिरी में भगवान जगन्नाथ का रथ है। कोविड के दो सालों के बाद इस बार रथयात्रा में लाखों लोग शामिल हुए हैं। वहीं, PM मोदी ने रथयात्रा की बधाई दी है। उन्होंने कहा- हम भगवान जगन्नाथ से उनके निरंतर आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं। हम सभी को अच्छे स्वास्थ्य और खुशियों का आशीर्वाद मिले।
कौन सा रथ किसका
इनमें सबसे आगे 14 पहियों वाला लाल और हरे रंग का रथ भगवान बलभद्र का है। इसके बाद देवी सुभद्रा का रथ 12 पहियों वाला लाल-काले रंग का है। आखिरी में 16 पहियों वाला लाल और पीले रंग का रथ भगवान जगन्नाथ का है।