मुंबई:भारतीय नौसेना का स्वदेशी विमान वाहक पोत (IAC) विक्रांत रविवार को अपना चौथे चरण का समुद्री परीक्षण पूरा कर लिया। इस परीक्षण के दौरान आईएसी विक्रांत से अधिकांश उपकरणों और प्रणालियों का परीक्षण किया गया। विक्रांत का यह परीक्षण 15 अगस्त को भारतीय नौसेना में शामिल होने से पहले हुआ है। नौसेना की ओर से रविवार को परीक्षण की कई तस्वीरें भी शेयर की गई है।
तस्वीरों में विक्रांत पर मिग-29 लाड़कू विमान भी खड़ा नजर आ रहा है। जिसका संचालन आईएनएस विक्रमादित्य से होता है। इसके अलावा एक हेलीकॉप्टर भी नजर आ रहा है जो विक्रांत पर खड़ा है। वहीं, परीक्षण के दौरान मिसाइल दागे जाने की भी तस्वीर नजर आ रही है।
भारतीय नौसेना के नौसेना डिजाइन निदेशालय (डीएनडी) की ओर से डिजाइन किए गए विक्रांत को राज्य के स्वामित्व वाली कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) में बनाया गया है। करीब 37500 टन के डिस्प्लेसमेंट के साथ विक्रांत ने भारत को उन चुनिंदा देशों की शामिल कर दिया है जो विमानह वाहक बनाने हैं। मौजूदा समय में यूएस, यूके, रूस, फ्रांस और चीन में विमान वाहक बनाने की क्षमता है।
Fourth phase of sea trials for Indigenous Aircraft Carrier was successfully completed, today, during which trials of the majority of equipment & systems onboard including Aviation Facilities Complex equipment were undertaken: Indian Navy pic.twitter.com/Pm28fKwKBS
— ANI (@ANI) July 10, 2022
लड़ाकू विमान समेत मल्टी रोल हेलीकॉप्टर का होगा संचालन
भारत के इस स्वदेशी विमान वाहक के जरिए मिग-29 लड़ाकू विमान, कोमोव-31 हेलीकॉप्टर, एमएच-60 आर मल्टी रोल हेलीकॉप्टर और स्वदेशी उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर का संचालन करेगा। इसका नाम 1961 से 1997 तक नौसेना द्वारा संचालित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के नाम पर रखा गया है जो कि अब रिटायर हो चुका है।
फिलहाल भारत में एक ही है विमान वाहक पोत
भारत वर्तमान में अकेला विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रमादित्य संचालित करता है, जिसे रूस से 2.33 अरब डॉलर में खरीदा गया था। वहीं, पड़ोसी देश चीन दो विमान वाहक CV-16 लियाओनिंग और CV-17 शेडोंग संचालित करता है। इसके अलावा हिंद महासागर में अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए तीसरे विमान वाहक का निर्माण कर रहा है। विक्रांत के निर्माण में 76 फीसदी सामान भारत के हैं। इस विमान वाहक पोत का निर्माण साल 2009 में शुरू हुआ था।